बिकरू कांड: घायल पुलिसकर्मियों को लौटाने होंगे 6.50 लाख

उत्तर प्रदेश के कानपुर में वर्ष 2020 में हुए चर्चित बिकरू कांड में घायल पुलिसकर्मियों से अब शासन द्वारा साढ़े छह लाख रुपये की वसूली की तैयारी की जा रही है। पांच साल बाद जारी किए गए नोटिस में यह बताया गया है कि पुलिसकर्मियों ने इलाज के लिए ‘लाइफ सेविंग फंड’ के साथ-साथ मेडिकल रीइंबर्समेंट का लाभ भी प्राप्त किया था। पुलिस मुख्यालय के निर्देशों पर यह वसूली प्रक्रिया अमल में लाई जा रही है, जिसमें बिकरू कांड में घायल पुलिसकर्मियों सहित कुल 27 नाम शामिल हैं।

क्या है मामला

2 जुलाई 2020 को बिकरू गांव में दुर्दांत अपराधी विकास दुबे और उसके गिरोह ने पुलिस टीम पर घातक हमला कर दिया था, जिसमें सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मियों की जान चली गई थी। इस हमले में सब-इंस्पेक्टर कौशलेन्द्र सिंह, सुधाकर पांडेय, अजय कुमार कश्यप, हेड कांस्टेबल अजय सिंह सेंगर और सिपाही शिवमूरत निषाद गंभीर रूप से घायल हुए थे। सभी को तत्काल इलाज के लिए रीजेंसी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

सरकार ने सभी घायल पुलिसकर्मियों को तत्काल सहायता स्वरूप 1.5 लाख रुपये नकद और बाद में ड्यूटी जॉइन करने के बाद 5 लाख रुपये का चेक प्रदान किया था।

दोहरी सहायता पर उठे सवाल

ज्वाइंट सीपी (कानून-व्यवस्था) आशुतोष कुमार ने बताया कि जांच में यह पाया गया कि कुछ पुलिसकर्मियों ने जीवन रक्षक निधि प्राप्त करने के साथ ही इलाज का खर्च भी रीइंबर्समेंट के रूप में लिया। चूंकि यह दोहरा लाभ माना गया, इसलिए तय किया गया है कि इन पुलिसकर्मियों से अतिरिक्त ली गई राशि की वसूली की जाएगी। यह प्रक्रिया सिर्फ बिकरू प्रकरण के पांच घायल जवानों तक सीमित नहीं है, बल्कि कुल 27 पुलिसकर्मियों को नोटिस जारी किया गया है।

पुलिसकर्मियों में चिंता का माहौल

इस वसूली के आदेश के बाद पुलिसकर्मियों में चिंता और असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। उनका कहना है कि प्राप्त राशि को वे इलाज और पारिवारिक जरूरतों पर खर्च कर चुके हैं, ऐसे में अब अचानक वसूली का आदेश उनके लिए आर्थिक दबाव का कारण बन सकता है। ज्वाइंट सीपी ने यह भी स्पष्ट किया कि वसूली का कार्य मुख्यालय से मिले निर्देशों के अनुसार किया जाएगा और संबंधित कर्मचारियों को अपना पक्ष रखने तथा राशि जमा करने के लिए उचित समय दिया जाएगा। शासन इस पर अंतिम निर्णय जल्द ही ले सकता है।

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