प्रयागराज। आजाद समाज पार्टी (ASP) के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद की नजरबंदी के विरोध में हुई हिंसा के बाद दलित युवाओं पर दर्ज मामलों पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सतर्क निगाह है। पार्टी एक ओर जहाँ इन मामलों में फँसे बेगुनाह युवाओं को राहत दिलाने की दिशा में प्रयासरत है, वहीं दूसरी ओर ASP को घेरने की रणनीति भी बना रही है।
सूत्रों के अनुसार, दर्ज मुकदमों में नामजद कई युवा बसपा के ज़ोनल कोऑर्डिनेटर, जिलाध्यक्ष और अन्य स्थानीय नेताओं से संपर्क कर रहे हैं। इनमें से कई युवाओं का दावा है कि वे घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे और उन्हें गलत तरीके से फँसाया गया है। मामले की पुष्टि के बाद बसपा नेता संबंधित पुलिस अधिकारियों से बातचीत कर कानूनी मदद की कोशिशों में जुटे हैं। पार्टी ने कुछ वकीलों को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया है। यह मुद्दा बसपा के शीर्ष नेतृत्व तक पहुँच चुका है, और निर्दोषों को राहत दिलाने के लिए स्पष्ट रणनीति तैयार की जा रही है।
चुनाव के दौरान आकाश आनंद ने दी थी चेतावनी
लोकसभा चुनाव के समय बसपा नेता आकाश आनंद ने चंद्रशेखर आजाद का नाम लिए बिना युवाओं को चेताया था कि कुछ लोग खुद को मसीहा बताकर गुमराह करते हैं, आंदोलनों में शामिल कराते हैं, और नतीजतन युवाओं पर मुकदमे दर्ज हो जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि ऐसे मामलों में बाद में किसी तरह की मदद नहीं मिलती और इसका असर नौकरी और शिक्षा पर पड़ सकता है।
बसपा और चंद्रशेखर के बीच बढ़ा तनाव
बसपा और आजाद समाज पार्टी के बीच हालिया बयानबाजी से दोनों दलों के रिश्तों में खटास बढ़ गई है। चंद्रशेखर द्वारा आकाश आनंद को जनता द्वारा नकारे जाने की टिप्पणी के जवाब में बसपा प्रमुख मायावती ने उन्हें ‘बरसाती मेढ़क’ कहकर पलटवार किया था। अब बसपा इस पूरे घटनाक्रम को राजनीतिक दृष्टिकोण से देख रही है और पार्टी के भीतर इसे ASP के खिलाफ दबाव बनाने के अवसर के रूप में लिया जा रहा है।
पार्टी पदाधिकारियों का मानना है कि यह सही समय है जब ASP की पकड़ को कमजोर कर बसपा दलित समुदाय में अपनी स्थिति फिर से मज़बूत कर सकती है।