यूपी में तबादलों में भ्रष्टाचार: आईजी स्टांप हटाए गए, 210 ट्रांसफर हुए निरस्त

लखनऊ। स्टांप एवं पंजीयन विभाग में हुए व्यापक तबादलों को लेकर भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त रुख अपनाते हुए आईजी स्टांप समीर वर्मा को पद से हटाकर प्रतीक्षारत सूची में डाल दिया है। साथ ही, उनके द्वारा किए गए सभी 210 तबादलों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है।

यह कार्रवाई विभागीय राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल की ओर से दी गई शिकायत के आधार पर की गई है। जायसवाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि इन तबादलों में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। मुख्यमंत्री ने मामले की जांच के आदेश देते हुए विभाग के प्रमुख सचिव अमित गुप्ता को आईजी स्टांप का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है।

बिना सहमति के किए गए तबादले

बताया गया कि समीर वर्मा ने मंत्री की सहमति के बिना ही 58 उप निबंधकों, 114 लिपिकों, 8 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों और 30 नए कार्मिकों का स्थानांतरण कर दिया था। मंत्री ने आरोप लगाया है कि कई मामलों में नियमों को ताक पर रखकर महत्वपूर्ण पदस्थापन की गई, जिससे विभाग में पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए हैं।

भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

राज्यमंत्री जायसवाल ने आरोप लगाया कि कुछ अधिकारियों को मनचाही तैनाती देने के बदले में मोटी रकम की वसूली की गई है। उन्होंने लिखा कि आईजी स्टांप ने ऐसे कई कर्मचारियों को बड़े जिलों में तैनात किया, जिन पर पहले से गंभीर जांचें चल रही हैं। मंत्री ने मामले की एसटीएफ से जांच कराने की मांग की है।

मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश

मुख्यमंत्री ने पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए सभी तबादलों को रद्द कर जांच के निर्देश जारी कर दिए हैं। उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि आगे से किसी भी तबादले में पूरी पारदर्शिता और मेरिट का पालन हो।

बिल्डर की सिफारिश पर तैनातियाँ?

सूत्रों का दावा है कि मेरठ सहित एनसीआर के कई जिलों में एक बिल्डर की सिफारिश पर तबादले कराए गए। समीर वर्मा, जब मेरठ में जिलाधिकारी थे, तभी से इस बिल्डर से उनके घनिष्ठ संबंध बताए जाते हैं। कहा जा रहा है कि इस नेटवर्क के जरिए भारी धन वसूली की गई।

स्वास्थ्य विभाग में भी विवाद, निदेशक हटाए गए

इधर, चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में भी तबादलों को लेकर टकराव गहराता जा रहा है। प्रशासन निदेशक भवानी सिंह खंगारौत को पद से हटा दिया गया है और उन्हें प्रतीक्षारत रखा गया है। उनके स्थान पर विशेष सचिव आर्यका अखौरी को जिम्मेदारी दी गई है। बताया जा रहा है कि उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक की नाराजगी के चलते विभाग में अब तक तबादले नहीं हो पाए हैं।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस पूरे घटनाक्रम पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब ट्रांसफर में ‘हिस्सा’ नहीं मिला, तब फाइलें लौटाई गईं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के अंदर ही तबादलों को लेकर लेन-देन का खेल चल रहा है।

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