समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को इटावा में कथावाचक के साथ हुई मारपीट की घटना को लेकर प्रदेश सरकार और समाज की वर्चस्ववादी मानसिकता पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि कुछ प्रभावशाली लोग धार्मिक कथाओं के मंच पर एकाधिकार बनाना चाहते हैं और इसी कारण इटावा की घटना घटी है।
उन्होंने सवाल उठाया कि जब सभी लोग भागवत कथा सुन सकते हैं, तो क्या वे कथा कह भी नहीं सकते? अगर कोई सच्चा कृष्णभक्त कथा कहे और उसे सिर्फ उसकी जाति के आधार पर रोका जाए, तो यह घोर अपमान है और इसे सहन नहीं किया जा सकता।
भाजपा सरकार को बताया अलोकतांत्रिक
सपा प्रमुख ने कहा कि अगर सरकार संविधान और प्रस्तावना के अनुरूप कार्य करे, तो समाज के कमजोर तबकों को सम्मान और न्याय मिल सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा शासन में पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) वर्ग को न्याय से वंचित किया जा रहा है और वर्चस्ववादी ताकतें लगातार इन वर्गों का अपमान कर रही हैं।
अखिलेश ने कहा, “अगर पीडीए वर्ग का कोई व्यक्ति मंदिर चला जाए, तो उसे अपवित्र मानते हुए गंगाजल से शुद्ध किया जाता है। यह मानसिकता लोकतंत्र के विरुद्ध है और सरकार की शह पर ही फल-फूल रही है। समाज में समानता और सम्मान की लड़ाई अब भी जारी है।”
पीड़ितों को किया गया सम्मानित
इसी अवसर पर सपा कार्यालय में पीड़ित कथावाचकों को सम्मानित किया गया। अखिलेश यादव ने उन्हें 21-21 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की, जबकि पार्टी की ओर से 51-51 हजार रुपये की अतिरिक्त सहायता की घोषणा की गई।
गौरतलब है कि इटावा में कथावाचक की जाति पूछकर उसके साथ मारपीट, बाल काटने और एक महिला से नाक रगड़वाने की घटना सामने आई थी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यह मामला गरमा गया है।