विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने प्रदेश में बिजली के निजीकरण और दरों में संभावित वृद्धि के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मंगलवार को समिति के पदाधिकारियों ने प्रबंधन पर उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ डालने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भीषण गर्मी के बीच बड़े पैमाने पर कर्मचारियों का तबादला कर विद्युत व्यवस्था को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है।
राज्य के विभिन्न स्थानों पर हुई बैठकों में 22 जून को प्रस्तावित बिजली महापंचायत की रणनीति पर चर्चा की गई। समिति के सदस्यों संजय सिंह चौहान, जितेंद्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेंद्र राय, पीके दीक्षित, सुहैल आबिद, चंद्र भूषण उपाध्याय और विवेक सिंह ने कहा कि पॉवर कॉर्पोरेशन द्वारा बिजली दरों में भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव संघर्ष समिति के उस आशंका को पुष्ट करता है, जिसमें निजीकरण के बाद दरों में कई गुना इजाफे की बात कही गई थी।
ट्रांसफर से कर्मचारी और व्यवस्था दोनों प्रभावित
संघर्ष समिति के अनुसार, हाल ही में 1500 से अधिक अभियंताओं के स्थानांतरण किए गए हैं, वहीं इसी संख्या में जूनियर इंजीनियर भी प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा, हजारों तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों को दूरदराज क्षेत्रों में भेजा गया है। समिति ने आरोप लगाया कि पॉवर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से निर्देश जारी कर दिया है कि स्थानांतरित कर्मचारियों को बिना प्रतिस्थापन के कार्यमुक्त किया जाए। समिति का मानना है कि इस निर्णय से गर्मी के मौसम में विद्युत आपूर्ति व्यवस्था गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है।
किसान संगठनों का समर्थन, आंदोलन की तैयारी
बिजली निजीकरण, दरों में वृद्धि और स्मार्ट मीटर के विरोध में क्रांतिकारी किसान यूनियन की राज्य कमेटी की मंगलवार को वर्चुअल बैठक हुई। राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि दिल्ली सीमा पर हुए किसान आंदोलन में बिजली निजीकरण भी एक अहम मुद्दा रहा है, और अब यूपी सरकार को इस जनविरोधी निर्णय को वापस लेना चाहिए।
बैठक में तय किया गया कि यूनियन 22 जून को लखनऊ में होने वाली बिजली महापंचायत में सक्रिय भागीदारी करेगी। इसके अलावा, 24 जून को संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर पूरे प्रदेश में साझा प्रदर्शन किया जाएगा। किसानों, खेतिहर मजदूरों और ग्रामीण तबकों को जागरूक करने के लिए गांवों में चौपालों और पर्चा वितरण अभियान चलाया जाएगा।
किसान नेताओं ने कहा कि बिजली दरों में 45% तक वृद्धि और गांवों में दर आठ रुपये प्रति यूनिट करने का प्रस्ताव किसानों, मजदूरों और गरीब तबके के साथ अन्याय है। बैठक में राष्ट्रीय महासचिव शशिकांत, रामनयन यादव, बलवंत यादव, नगेंद्र चौधरी, रामरतन, उपेंद्र सिंह पटेल, गरीब राजभर, एकादशी यादव और दिनेश कुमार सहित कई नेता शामिल हुए।