उत्तर प्रदेश में परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों के विलय संबंधी सरकारी आदेश को लखनऊ खंडपीठ में चुनौती दी गई है। इस संबंध में दाखिल याचिकाओं पर हाईकोर्ट 3 जुलाई को सुनवाई करेगा।
पहली याचिका सीतापुर जनपद के 51 छात्रों की ओर से दाखिल की गई है, जो प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अध्ययनरत हैं। वहीं, इसी मुद्दे पर एक अन्य याचिका भी अदालत में दायर की गई है।
इन याचिकाओं में 16 जून 2024 को बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी उस शासनादेश को निरस्त करने की मांग की गई है, जिसमें छात्र संख्या के आधार पर प्राथमिक विद्यालयों को उच्च प्राथमिक या कंपोजिट विद्यालयों में समाहित करने का निर्देश दिया गया है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह आदेश ‘मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिकार कानून’ के प्रावधानों के विपरीत है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि स्कूलों का विलय होने से छोटे बच्चों को अपने विद्यालय से दूर जाना पड़ेगा, जिससे उन्हें असुविधा होगी। याचिकाओं में इस प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगाने की भी मांग की गई है।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से मुख्य स्थायी अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह ने पक्ष रखा, जबकि याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. एल.पी. मिश्र और गौरव मेहरोत्रा पेश हुए। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई गुरुवार, 3 जुलाई को तय की है।