कृषि मंत्री शिवराज चौहान ने कहा सिंधु जल संधि स्थगन से किसानों को मिलेगा बड़ा लाभ- अशोक बालियान

दिल्ली। केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को सिंधु जल संधि पर किसान संगठनों से भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा), दिल्ली में अहम संवाद किया। इस बैठक में सिंधु नदी के जल को भारत में रोकने और उसके लाभ पर चर्चा हुई।

इस बैठक में पीजेंट के चेयरमैन अशोक बालियान, भाकियू (अ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश चौहान, राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक एवं पीजेंट के पैट्रन बोर्ड के सदस्य कृषि वैज्ञानिक वी.पी. सिंह (पद्मश्री), के.पी. सिंह (पूर्व वी.पी., शुगर इंडस्ट्री), कोटि रेड्डी (सिफा, हैदराबाद), उदयवीर सिंह (पूर्व सीओ), धुरेंद्र सिंह (पूर्व सीओ), सी.पी. सिंह (पूर्व सीओ), शिवचरण अत्री (पूर्व सीओ), करणवीर सिंह (सिरसा), राजीव सियोरण (गुड़गांव) के अलावा देशभर के अनेक किसान नेता शामिल थे।

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 हिंदुओं के नरसंहार के तुरंत बाद पाकिस्तान के साथ हुई सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था। इसके बाद भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान के आतंकी अड्डों और वायु रक्षा प्रणाली को नष्ट किया।

श्री चौहान ने अपने संबोधन में आगे कहा कि सिंधु जल संधि को स्थगित करने से राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों के किसानों को बहुत लाभ होगा। उन्होंने यह भी कहा कि हम जल्द ही सही कार्य करने वाले व सकारात्मक सोच वाले किसान संगठनों से किसानों की समस्याओं और कृषि सुधारों पर वार्ता करेंगे।

पीजेंट के चेयरमैन अशोक बालियान ने अपने संबोधन में कहा कि सिंधु जल संधि को निलंबित करने का केंद्र सरकार का निर्णय एक उचित कदम है। वियना कन्वेंशन (VCLT) के अनुच्छेद 60 और 62 के अनुसार भारत को भौतिक उल्लंघन या परिस्थितियों में मौलिक परिवर्तन के कारण संधि निलंबित करने का अधिकार है। इस सिंधु जल संधि के निलंबन से भारत के लिए जल प्रवाह पर अधिक नियंत्रण रखने का रास्ता खुल गया है, जिसमें शुष्क मौसम के दौरान पानी रोकना और मानसून के दौरान उसे छोड़ देना शामिल है। भारत के इस कदम को एक मजबूत राजनीतिक संदेश के रूप में देखा जा सकता है।

सिंधु जल संधि के अनुसार भारत को तीन पूर्वी नदियों (रावी, व्यास और सतलुज) पर पूरा नियंत्रण मिला है, जबकि पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियां (सिंधु, झेलम और चिनाब) प्राप्त हैं। पाकिस्तान में बहने वाली इन तीन नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब से साझा घाटी में प्रवाहित जल का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा आता है। सिंधु जल संधि को निलंबित करने से भारत को सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के जल का उपयोग करने में अधिक स्वतंत्रता मिलेगी। पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन केंद्र सरकार के इन प्रयासों का समर्थन करती है।

अशोक बालियान, चेयरमैन, पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन

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