स्वदेशी अपनाने से देश का धन राष्ट्र को ही समृद्ध और उन्नत बनाने में लगेगा – अशोक बालियान

हमें ‘स्वदेशी जागरण मंच’ द्वारा नई दिल्ली में आयोजित “स्वदेशी सुरक्षा एवं स्वावलंबन अभियान” में शामिल होने का अवसर मिला। इस अभियान में भारत के 200 से अधिक प्रमुख व्यापारिक, सामाजिक, राजनीतिक, किसान और मजदूर संगठनों के पदाधिकारी दिल्ली में एकत्र होकर इस अभियान को सफल बनाने का संकल्प ले चुके हैं। इस विषय पर अखिल भारतीय व्यवस्था प्रमुख श्री दीपक शर्मा से व्यापक चर्चा भी हुई थी, और स्वदेशी जागरण मंच के सह-समन्वयक श्री अश्विनी महाजन ने सभी से इस अभियान से जुड़ने की अपील की थी।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से स्वदेशी वस्तुएं अपनाने की अपील की है, ताकि देश आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सके। स्वदेशी जागरण मंच ने राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक आत्मनिर्भरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए देशव्यापी ‘स्वदेशी, स्वावलंबन और सुरक्षा अभियान’ शुरू किया है। मैं इस मंच से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की संकल्पना और उसकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए बधाई देता हूँ।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा व्यापारियों से विदेशी वस्तुएं न बेचने का आह्वान देश में विनिर्माण को बढ़ावा देने की एक सार्थक और व्यावहारिक पहल है। स्वदेशी जागरण मंच का मानना है कि देशभक्त व्यापारी प्रधानमंत्री की इस अपील का सम्मान करते हुए विदेशी वस्तुओं की बाढ़ को रोकने में अहम भूमिका निभाएंगे।

पाकिस्तान के विरुद्ध ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भले ही सैन्य शक्ति से शुरू हुआ हो, लेकिन यह अभियान अब जनशक्ति से आगे बढ़ेगा। विकसित भारत के लक्ष्य को पाने के लिए हर नागरिक को जिम्मेदारी निभानी होगी। हमें संकल्प लेना चाहिए कि भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे ले जाना है और अब से हम किसी भी अनावश्यक विदेशी उत्पाद का उपयोग नहीं करेंगे।

स्वदेशी का अर्थ हर विदेशी वस्तु का बहिष्कार नहीं है। केवल उन्हीं प्रौद्योगिकियों या सामग्रियों का आयात किया जाना चाहिए जिनकी देश में उपलब्धता नहीं है या जिनका विकल्प फिलहाल देश में नहीं बन सका है।

हमें अपने देश में फेसबुक, गूगल, ट्विटर, एप्पल जैसे तकनीकी प्लेटफॉर्म भी स्वयं विकसित करने होंगे, क्योंकि हमें विदेशी प्लेटफॉर्म्स पर पूर्ण भरोसा नहीं किया जा सकता।

चीन की नीतियों ने हमारे लघु और मध्यम उद्योगों को भारी क्षति पहुंचाई है। चीन जहां एक ओर हमारे बाजारों का भरपूर दोहन करता है, वहीं दूसरी ओर आतंकवाद जैसे मुद्दों पर पाकिस्तान का समर्थन करता है। ऐसे अमित्र देशों पर हमारी निर्भरता समाप्त होनी चाहिए।

भारत का खिलौना उद्योग चीन और इटली से आयातित उत्पादों के कारण सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। लगभग 80% बाजार पर उनका कब्जा है। यदि इन उत्पादों का बहिष्कार किया जाए तो भारतीय खिलौना उद्योग को बल मिलेगा और चीन को इस क्षेत्र में हजारों करोड़ रुपये के नुकसान का सामना करना पड़ेगा।

सौर ऊर्जा और थर्मल पावर क्षेत्र में भी 70-80% उपकरण चीन से आयात होते हैं। यदि इन क्षेत्रों में स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए तो चीन के निर्यात पर सीधा असर पड़ेगा। इसके लिए आम जनता को विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के प्रति जागरूक करना आवश्यक है।

‘मेक इन इंडिया’ योजना और विशेष रूप से एमएसएमई की भागीदारी से हमें विश्वास है कि निकट भविष्य में आवश्यक वस्तुओं के आयात पर भी नियंत्रण पाया जा सकेगा। केंद्र सरकार की नीतियों और बेहतर होती आधारभूत संरचना एवं भुगतान प्रणाली के चलते भारत में उत्पादन लागत में भी गिरावट आ रही है। आज हम न केवल घरेलू, बल्कि वैश्विक बाजारों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए तैयार हैं।

स्वदेशी जागरण मंच ने उच्च शिक्षण संस्थानों, शोध संगठनों और तकनीकी संस्थानों से भी आह्वान किया है कि वे स्वदेशी विकल्प विकसित करें और विदेशी उत्पादों पर निर्भरता कम करें। यह एक सकारात्मक शुरुआत है।

स्वदेशी अपनाने से हमारे देश की पूंजी देश में ही रहेगी और राष्ट्र की समृद्धि तथा उन्नति में योगदान देगी। मैं स्वदेशी जागरण मंच के इस प्रयास का समर्थन करता हूँ और देश की सभी संस्थाओं, संगठनों एवं नागरिकों से प्रधानमंत्री की इस अपील को स्वीकार करने की अपील करता हूँ।


लेखक: अशोक बालियान, चेयरमैन, पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन
(यह लेखक के निजी विचार हैं)


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