मुजफ्फरनगर। साइबर क्राइम पुलिस और क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम ने फर्जी बीमा कंपनी बनाकर लोगों को पॉलिसी का पूरा भुगतान दिलाने का झांसा देकर दो करोड़ रुपये से अधिक की ठगी करने वाले एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपी पर 15 हजार रुपये का इनाम घोषित था। वह डी 95 गैंग का सक्रिय सदस्य है, जो जनपद में पंजीकृत है। आरोपी और उसके साथी देश के विभिन्न राज्यों में ठगी की वारदातों को अंजाम दे चुके हैं।
एसएसपी संजय कुमार वर्मा ने प्रेस वार्ता में बताया कि जनवरी महीने में एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी से अज्ञात आरोपियों ने कूटरचित दस्तावेज़ दिखाकर नेशनल इंश्योरेंस रिपोजिटरी (एनएसडीएल बैंक) के अधिकारी होने का झांसा दिया और पॉलिसी लाभ के नाम पर 18.57 लाख रुपये की धोखाधड़ी की थी। साइबर क्राइम थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास शुरू किए।
साइबर क्राइम थाना प्रभारी सुल्तान सिंह ने बताया कि पुलिस टीम ने इस मामले में 15 हजार रुपये के इनामी शौकीन को उसके गांव शेरनगर, थाना नई मंडी से गिरफ्तार किया। गैंग के दो अन्य सदस्य—लोकेन्द्र निवासी गाजियाबाद (मूल निवासी स्याना, बुलंदशहर) और अशोक निवासी बुलंदशहर पहले से जेल में बंद हैं। पूछताछ में आरोपी ने स्वीकार किया कि वे बुजुर्ग और रिटायर्ड लोगों को पॉलिसी में बोनस का पूरा भुगतान कराने का झांसा देकर ठगी करते थे। यह गैंग देश के कई राज्यों में 12 से अधिक लोगों से दो करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी कर चुका है। पुलिस ने अभी तक गैंग के छह बैंक खाते ट्रेस किए हैं।
अरोपियों द्वारा फर्जी कंपनी के नाम हैं:
- नेशनल इंश्योरेंस रिपोजिटरी (एनआईआर)
- इफ्रा ट्रेडिंग कंपनी
एसएसपी संजय कुमार वर्मा ने बताया कि इस गिरोह ने पश्चिम बंगाल, गुजरात (सूरत), कर्नाटक, राजस्थान, प्रयागराज, देहरादून और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में 21.50 लाख रुपये की ठगी की शिकायतें दर्ज करवाई हैं। साइबर क्राइम पुलिस विभिन्न राज्यों की पुलिस एजेंसियों से संपर्क में है। गिरफ्तार आरोपी शौकीन के खिलाफ नई मंडी, साइबर क्राइम थाना और दिल्ली के शाहदरा में कुल सात आपराधिक मामले दर्ज हैं।
साइबर क्राइम थाना प्रभारी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी डी 95 गैंग का सक्रिय सदस्य है, जिसका लीडर उसका पिता अय्युब है। आरोपी गैंग की अन्य गतिविधियों से अलग साइबर अपराध में लिप्त था। उसने अपने साथियों उस्मान और मुस्तकीम के साथ मिलकर लोगों को फर्जी वादे कर उनके नाम पर बैंक खाते खुलवाए और धोखे से जमा पैसे फर्जी खातों में ट्रांसफर कराए। इन खातों के एटीएम कार्ड उनके पास थे, जिनसे वे पैसे निकाल लेते थे। पुलिस ने अब तक छह ऐसे बैंक खातों की पहचान कर ली है, जिनमें से चार की पूरी जानकारी जुटा ली गई है और दो की जांच जारी है।