मुजफ्फरनगर। जानसठ रोड स्थित द्वारिका सिटी मामले में सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति आदेश को सही ढंग से स्पष्ट न करने के आरोप में नागरिकों ने एमडीए कार्यालय का घेराव किया। उनका कहना था कि यह आदेश केवल कॉलोनी के बीच स्थित एक विशेष भूखंड से संबंधित है, लेकिन इसे कॉलोनी के सभी निवासियों पर लागू किया जा रहा है।
2005 में शासन द्वारा शहरों में सुव्यवस्थित आवासीय कॉलोनियों के विकास के लिए इंटीग्रेटेड टाउनशिप योजना लागू की गई थी। इसी के तहत शेरनगर और बीबीपुर के निकट द्वारिका बालाजी कंसोर्टियम कंपनी ने लगभग 100 एकड़ क्षेत्र में टाउनशिप की रूपरेखा तैयार की थी।
विकास प्राधिकरण ने इस परियोजना को 20 मई 2009 को लाइसेंस प्रदान किया था। वर्तमान में जानसठ रोड पर स्थित द्वारिका सिटी में सैकड़ों परिवार मकान बनाकर रह रहे हैं, वहीं कई अन्य लोग प्लॉट खरीदने के बाद निर्माण कार्य करवा रहे हैं।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के 27 मई को जारी यथास्थिति आदेश के बाद वहां किसी भी नए निर्माण को रोक दिया गया है, जिससे कॉलोनी निवासियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
गुरुवार को द्वारिका सिटी वेलफेयर सोसायटी के सदस्यों ने एमडीए उपाध्यक्ष कविता मीणा से मुलाकात कर अपनी समस्या से अवगत कराया। नागरिक सुरेश चंद अग्रवाल ने बताया कि आदेश केवल एक विशिष्ट भूखंड पर लागू है, लेकिन जिला प्रशासन द्वारा कॉलोनी के सभी प्लॉट खरीदारों पर इसे लागू कर दिया गया है, जिससे निर्माण और मरम्मत कार्यों में बाधा आ रही है। इसके अलावा मनोज कुमार, प्रकाश चौधरी, मनोज सिंघल, अंशुमन अग्रवाल, दिनेश जैन, अंकुर जैन आदि भी उपस्थित थे।
एमडीए उपाध्यक्ष कविता मीणा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर विधिक सलाह ली गई है और इसे अमल में लाने के लिए संबंधित कमिश्नर एवं जिला मजिस्ट्रेट के पास भेजा गया है। दिशा-निर्देश मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।