उत्तर प्रदेश सरकार में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री और पुरकाजी सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र से रालोद विधायक अनिल कुमार तथा मुज़फ्फरनगर सदर की उपजिलाधिकारी (एसडीएम) निकिता शर्मा के बीच चल रहा टकराव प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। यह मामला अब केवल जिले तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि इसकी गूंज राजधानी लखनऊ तक सुनाई दे रही है।
जिला प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है। जिलाधिकारी के निर्देश पर एडीएम प्रशासन संजय सिंह को जांच सौंपी गई है। एसडीएम से इस संबंध में लिखित जवाब मांगा गया है, साथ ही उनके बयान भी दर्ज किए जाएंगे। एडीएम प्रशासन ने जल्द ही अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपने की बात कही है।
प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच इस तरह के टकराव पहले भी सामने आ चुके हैं। हाल ही में लोकसभा चुनावों में पराजय के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान और मंसूरपुर थाने के प्रभारी निरीक्षक उमेश रोरिया के बीच तीखी नोकझोंक हो चुकी है। इसके अलावा सपा सांसद हरेन्द्र मलिक और एसडीएम निकिता शर्मा के बीच भी असहमति की खबरें सामने आई थीं।
अब अनिल कुमार और निकिता शर्मा के बीच विवाद को लेकर कई आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, मंत्री की ओर से एसडीएम पर कुछ कार्यों को करवाने का दबाव बनाया गया था, जिन्हें एसडीएम ने अस्वीकार कर दिया। वहीं, एसडीएम पर आरोप है कि वह पुरकाजी क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग और भू-माफियाओं को संरक्षण दे रही हैं।
मंत्री अनिल कुमार ने इस संबंध में प्रमुख सचिव और मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र भेजकर जांच और एसडीएम के स्थानांतरण की मांग की है। शासन स्तर पर मामला डीएम उमेश मिश्रा को सौंपा गया है, जिन्होंने एडीएम संजय सिंह को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। मंत्री ने एसडीएम पर भ्रष्टाचार और भू-माफियाओं से मिलीभगत के आरोप लगाए हैं।
अब देखना यह होगा कि प्रशासनिक जांच में क्या निष्कर्ष निकलते हैं और इस राजनीतिक-प्रशासनिक खींचतान का अंत किस दिशा में होता है।