समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बार फिर प्रदेश और केंद्र की भाजपा सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार ने जनता का जीवन मुश्किल बना दिया है। सत्ता के अहंकार में डूबी भाजपा को अब आम लोगों की तकलीफें दिखाई नहीं देतीं। लोग अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। भीषण गर्मी और उमस के बीच बिजली-पानी की किल्लत ने लोगों को बेहाल कर दिया है।
अपने बयान में सपा अध्यक्ष ने कहा कि राज्य के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बिजली-पानी की भारी समस्या है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी लोग बिजली कटौती से जूझ रहे हैं। वहां 21 मिनट में चार बार बिजली चली जाना अखबारों की सुर्खियां बनीं। वाराणसी में 131 नलकूपों से जलापूर्ति अब तक शुरू नहीं हो सकी है। बांदा जैसे जिलों में गांवों को आठ घंटे भी बिजली नहीं मिल रही, जबकि वहां 550 मेगावाट बिजली की ज़रूरत है।
बिजली उत्पादन में पूरी तरह विफल भाजपा सरकार
अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार न तो नई बिजली परियोजनाएं शुरू कर सकी और न ही पूर्ववर्ती समाजवादी सरकार द्वारा बनाए गए पावर प्लांटों की क्षमता का पूरी तरह उपयोग कर पा रही है। बिजली लगातार महंगी होती जा रही है और विभाग के कर्मचारी तक सरकार की नीतियों से नाराज़ होकर आंदोलन कर रहे हैं। सरकार अब निजीकरण की ओर बढ़ रही है, जिससे सिर्फ बड़े कॉर्पोरेट समूहों को लाभ मिलेगा।
पेयजल योजनाएं बनीं दिखावा, जनता प्यास से परेशान
सपा प्रमुख ने कहा कि प्रदेश में पेयजल योजनाएं केवल कागजों तक सीमित रह गई हैं। ज़मीनी स्तर पर पाइपलाइनें अधूरी हैं और नलों से जल की आपूर्ति नहीं हो रही है। ‘हर घर नल योजना’ की हालत यह है कि अधिकांश जगहों पर साल भर से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी नलों से पानी की एक बूंद नहीं आई है। जल जीवन मिशन में केवल सड़कों की खुदाई कराई गई, लेकिन शुद्ध पेयजल की आपूर्ति नहीं हो सकी। यह योजना भ्रष्टाचार का शिकार हो गई है।
भाजपा सरकार ने जनहित की योजनाएं ठप कर दीं
अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने सपा शासनकाल की जनहितकारी योजनाओं को राजनीतिक द्वेषवश नष्ट कर दिया। यदि उन योजनाओं को आगे बढ़ाया गया होता, तो आज प्रदेश की जनता इतनी परेशान नहीं होती। भाजपा की डबल इंजन सरकारें आपसी मतभेदों में उलझी हुई हैं और आम जनता की समस्याओं को अनदेखा कर रही हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब प्रधानमंत्री खुद उत्तर प्रदेश से सांसद हैं, तो अब तक राज्य को केंद्र से अतिरिक्त बिजली कोटा क्यों नहीं मिला।