उत्तर प्रदेश के औरैया जिले से एक संवेदनशील मामला सामने आया है, जहां धार्मिक परंपराओं से परे जाकर एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को अंतिम विदाई दी। दिबियापुर थाना क्षेत्र के असेनी गांव निवासी वाकर अली ने अपनी पत्नी भागवती का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार किया, क्योंकि मुस्लिम समाज के कुछ लोगों ने कब्रिस्तान में दफनाने से मना कर दिया था।
भागवती पिछले काफी समय से बीमार चल रही थीं और हाल ही में उनका निधन हो गया। जब वाकर अली अपनी पत्नी को सुपुर्द-ए-खाक करने की तैयारी कर रहे थे, तब समुदाय के लोगों ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। बिरादरी का तर्क था कि चूंकि भागवती का निकाह नहीं हुआ था, इसलिए उन्हें कब्रिस्तान में दफनाना धार्मिक रूप से स्वीकार्य नहीं है।
इस असहज स्थिति में वाकर अली ने धर्म से ऊपर उठकर अपनी पत्नी को अंतिम सम्मान देने का निर्णय लिया। उन्होंने हिंदू संस्कारों के अनुसार मुक्तिधाम जाकर उनका दाह संस्कार किया। इस दौरान स्थानीय हिंदू समाज के लोगों ने भी आगे बढ़कर वाकर अली की मदद की।
जानकारी के अनुसार, वाकर अली करीब 30 वर्षों से असेनी गांव में रह रहे हैं, हालांकि उनका मूल निवास रसूलाबाद थाना क्षेत्र के उसरी विला गांव में है। यह मामला अब क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है और धार्मिक सहिष्णुता की एक मिसाल के रूप में देखा जा रहा है।