संभल हिंसा के 50 उपद्रवियों पर अदालत ने आरोप तय कर दिए हैं और अब मामले का ट्रायल शुरू होने वाला है। आरोपियों के पक्ष में चार-पांच अधिवक्ताओं ने अदालत में डिस्चार्ज की मांग करते हुए प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किया था, लेकिन अभियोजन पक्ष ने इसके खिलाफ तर्क पेश किए। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद न्यायालय ने डिस्चार्ज की मांग खारिज कर दी।
यह हिंसा 24 नवंबर 2024 को संभल की शाही जामा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने के विवाद के दौरान हुई थी। मामले में पुलिस ने कई मुकदमे दर्ज किए हैं और अब तक 80 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। आरोपियों की ओर से जमानत के लिए कई याचिकाएं भी दायर की गईं, जो अब तक निरस्त हो चुकी हैं।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं एससीएसटी एक्ट की न्यायाधीश रागिनी सिंह की अदालत में अभियोजन पक्ष ने आरोपपत्र दाखिल किया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता हरिओम प्रकाश उर्फ हरीश सैनी ने बताया कि कुछ आरोपियों के वकीलों ने दावा किया कि उनके मुवक्किल घटना में शामिल नहीं हैं और उनका नाम झूठा लगाया गया है।
लेकिन पुलिस ने जांच के दौरान मिले वीडियो और अन्य सबूतों के आधार पर सभी 50 आरोपियों के खिलाफ ठोस प्रमाण जुटाए हैं। इसलिए अदालत ने अभियोजन पक्ष की दलील मानते हुए डिस्चार्ज याचिकाएं खारिज कर दीं और आरोप तय कर दिए।
अब आगे की सुनवाई में अभियोजन अपने सबूत और गवाहों को अदालत के समक्ष प्रस्तुत करेगा, जिसके बाद मामले का अंतिम फैसला होगा। उम्मीद जताई जा रही है कि संभल हिंसा मामले में जल्द ही फैसला आ सकता है।