उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मंजूर की गई नई स्थानांतरण नीति 2025-26 में सरकारी कर्मचारियों को कई महत्वपूर्ण रियायतें दी गई हैं। इस नीति में विशेष रूप से उन माता-पिता को सुविधा दी गई है, जिनके बच्चे मानसिक रूप से असमर्थ या गतिशीलता में अक्षम हैं। ऐसे कर्मचारियों की तैनाती उन्हीं स्थानों पर की जाएगी, जहां उनके बच्चों को उपयुक्त चिकित्सा सुविधाएं मिल सकें।
प्रदेश के आकांक्षी विकासखंडों में नहीं रहेंगे पद खाली
नीति के तहत प्रदेश के 34 जिलों में स्थित 100 आकांक्षी विकास खंडों में कोई भी पद खाली नहीं छोड़ा जाएगा। सभी विभागों में आवश्यकतानुसार तैनाती सुनिश्चित की जाएगी।
स्थानांतरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता और तकनीकी इस्तेमाल
स्थानांतरण सत्र के उपरांत समूह ‘क’ और ‘ख’ के अधिकारियों का तबादला विभागीय मंत्री के माध्यम से मुख्यमंत्री की अनुमति से किया जाएगा। नियुक्ति विभाग के प्रमुख सचिव एम. देवराज द्वारा मंगलवार शाम इस संबंध में शासनादेश जारी किया गया। इस प्रक्रिया में 31 मार्च 2025 को कटऑफ डेट माना जाएगा।
समूह ‘ग’ के अंतर्गत आने वाले कार्मिकों का स्थानांतरण तो नहीं होगा, लेकिन उनका कार्य क्षेत्र बदला जाएगा। निर्धारित सीमा से अधिक स्थानांतरण के लिए मुख्यमंत्री से अनुमति अनिवार्य होगी। समूह ‘ग’ और ‘घ’ के 10 प्रतिशत से अधिक स्थानांतरण के लिए विभागीय मंत्री की मंजूरी आवश्यक होगी। इन दोनों समूहों का स्थानांतरण मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से किया जाएगा और पूरी प्रक्रिया डिजिटल प्लेटफॉर्म पर संचालित होगी।
एक सप्ताह में कार्यभार ग्रहण अनिवार्य
स्थानांतरित कर्मचारी को एक सप्ताह के भीतर नए स्थान पर कार्यभार ग्रहण करना होगा। यदि वे प्रतिस्थानी की प्रतीक्षा किए बिना नहीं पहुंचते तो उन्हें स्वतः कार्यमुक्त मान लिया जाएगा। साथ ही, नीति में किसी भी प्रकार के संशोधन का अधिकार मुख्यमंत्री को दिया गया है।
स्थानांतरण नीति की प्रमुख विशेषताएं
- यदि पति-पत्नी दोनों सरकारी सेवा में हैं तो उन्हें एक ही जिले में तैनाती देने की कोशिश की जाएगी।
- 40% या अधिक दिव्यांगता वाले कर्मचारियों अथवा उनके आश्रितों को तबादले से छूट मिलेगी।
- दिव्यांग कर्मचारियों का स्थानांतरण केवल विशेष परिस्थितियों में ही किया जाएगा।
- इच्छुक दिव्यांग कर्मचारियों को पद उपलब्धता के आधार पर गृह जिले में तैनाती दी जा सकती है।
- अगले दो वर्षों में सेवानिवृत्त होने वाले समूह ‘ग’ और ‘घ’ के कार्मिकों को उनके गृह जिले में, जबकि समूह ‘क’ और ‘ख’ के अधिकारियों को गृह जिले के बाहर लेकिन इच्छानुसार स्थान दिया जा सकता है।