प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों को आपस में मिलाने (पेयरिंग) की प्रक्रिया अब रफ्तार पकड़ चुकी है। इसी क्रम में गोरखपुर के एक प्राथमिक विद्यालय को दूसरे विद्यालय में समाहित करने का आदेश जारी किया गया है। हालांकि इस निर्णय के खिलाफ शिक्षक संगठन और प्रतियोगी छात्र अब खुलकर सामने आ गए हैं। बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर “सेव विलेज स्कूल” नाम से एक बड़ा अभियान चलाया गया, जिसमें 1.25 लाख से अधिक पोस्ट साझा की गईं।
शिक्षक-छात्र अनुपात सुधारने की कवायद
बेसिक शिक्षा विभाग ने हाल ही में उन विद्यालयों को पास के अन्य स्कूलों में समाहित करने का निर्देश जारी किया है, जहाँ विद्यार्थियों की संख्या कम है। गोरखपुर में इसी निर्देश के तहत प्राथमिक विद्यालय मिर्जवा बाबू को प्राथमिक विद्यालय रउतैनिया बाबू में जोड़े जाने की सिफारिश की गई है।
आरटीई उल्लंघन का आरोप, छात्रों को नुकसान की आशंका
बीटीसी संघ के प्रदेश अध्यक्ष नीतेश पांडेय और डीएलएड मोर्चा के उपाध्यक्ष विशु यादव ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि यह ग्रामीण इलाकों में बच्चों की शिक्षा तक पहुँच को बाधित करेगा और निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिकार (RTE) अधिनियम का भी उल्लंघन है। उनका कहना है कि सरकारी स्कूलों में दाखिले घटने का समाधान स्कूल बंद करना नहीं, बल्कि संसाधनों और शिक्षकों की संख्या बढ़ाना होना चाहिए।
शिक्षक संगठनों की आपत्ति, आंदोलन की चेतावनी
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनय तिवारी और महामंत्री उमाशंकर सिंह ने इस निर्णय को शिक्षा और छात्रों के हित के विरुद्ध बताया है। उन्होंने मांग की है कि सरकार तुरंत यह फैसला वापस ले, अन्यथा व्यापक आंदोलन किया जाएगा।
मान्यता नीति पर भी सवाल
शिक्षक संगठनों ने यह भी आरोप लगाया है कि नियमों के अनुसार परिषदीय स्कूलों के एक किलोमीटर के दायरे में निजी स्कूलों को मान्यता नहीं दी जानी चाहिए, लेकिन विभागीय स्तर पर यह प्रावधान लगातार अनदेखा किया जा रहा है। उन्होंने सरकार से पहले गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों को बंद कराने और अवैध मान्यताओं को रद्द करने की मांग की है।
मुख्यमंत्री को पत्र और अन्य संगठनों की प्रतिक्रिया
विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष संतोष तिवारी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर विद्यालय विलय के आदेश को वापस लेने की मांग की है। वहीं, संयुक्त मोर्चा के प्रांतीय सचिव दिलीप चौहान ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य को सरकार की प्राथमिकता में रखा जाना चाहिए। उन्होंने आशंका जताई कि यदि स्कूलों को बंद किया गया तो गरीब और पिछड़े क्षेत्रों के बच्चे बुनियादी शिक्षा से वंचित हो जाएंगे। उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष योगेश त्यागी ने भी इस कदम को छात्र और शिक्षक दोनों के हितों के विपरीत बताया है।