मदरसों में भी होना चाहिए योग, इसको धर्म से जोड़कर न देखें: रजवी

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर देशवासियों से विशेष रूप से मदरसों में योग कार्यक्रम आयोजित करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि योग सभी धर्मों के लोगों के लिए फायदेमंद है और इसका आयोजन व्यापक रूप से किया जाना चाहिए।

महिलाओं के लिए योग को बताया विशेष लाभकारी

मौलाना रजवी ने कहा कि महिलाओं के लिए योग विशेष रूप से आवश्यक है, क्योंकि वे पुरुषों की तुलना में अपेक्षाकृत कम शारीरिक गतिविधि करती हैं। लगातार बैठे रहने की प्रवृत्ति से शारीरिक समस्याएं बढ़ती हैं, जबकि नियमित योग से सामान्य बीमारियों से बचा जा सकता है और शरीर को सक्रिय बनाए रखा जा सकता है। उन्होंने महिलाओं से आग्रह किया कि वे प्रतिदिन कम से कम 20 मिनट योग के लिए समय निकालें।

योग को धर्म से जोड़ने पर जताई आपत्ति

योग को सनातन धर्म से जोड़ने की प्रवृत्ति पर टिप्पणी करते हुए मौलाना ने कहा कि योग का मूल संबंध स्वास्थ्य से है, न कि किसी विशेष धर्म से। उन्होंने स्पष्ट किया कि “योग” एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ उर्दू में ‘वर्जिश’ और अंग्रेज़ी में ‘एक्सरसाइज़’ होता है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग जानबूझकर इसे धार्मिक पहचान देने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि योग की परंपरा सूफी संतों के ध्यान व साधना अभ्यास से भी जुड़ी रही है।

योग भारतीय संस्कृति का हिस्सा है, न कि किसी धर्म का

मौलाना ने बताया कि योग भारतीय सभ्यता का एक महत्वपूर्ण अंग है और सूफी परंपराओं में भी इसकी गूंज मिलती है। उन्होंने कहा कि योग को धर्म का हिस्सा बताकर जनता को गुमराह करना अनुचित है। योग न तो किसी विशेष मज़हब से जुड़ा है, न ही किसी धर्म विशेष की पहचान है।

मदरसों में योग को पाठ्यक्रम के रूप में अपनाने की वकालत

उन्होंने कहा कि देश के मदरसों में छात्र-छात्राओं को योग का प्रशिक्षण देकर नियमित अभ्यास करवाया जाना चाहिए। इसे पाठ्यक्रम का हिस्सा मानते हुए अपनाया जाए ताकि युवा मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहें।

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