मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम में मेक्सिको, फिजी, नेपाल, सूरिनाम, मंगोलिया, लातविया, श्रीलंका और रूस से आए राजदूतों व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों का स्वागत करते हुए कहा कि उत्तराखंड को योग एवं आयुष का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में राज्य लगातार अग्रसर है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से ही वर्ष 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को मान्यता मिली थी, जिसे आज दुनिया भर में उत्साह के साथ मनाया जाता है। प्रधानमंत्री की दूरदृष्टि और नेतृत्व ने उत्तराखंड जैसे हिमालयी राज्य को योग व वेलनेस हब के रूप में पहचान दिलाई है।
मुख्यमंत्री ने स्मरण कराया कि बाबा केदारनाथ की पावन धरती से प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड को “इस दशक का दशक” बताया था, जो राज्य के लिए दिशा, प्रेरणा और संकल्प का प्रतीक है।
हिमालय की गोद में योग और वेलनेस की संभावनाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड का शुद्ध पर्यावरण, हिमालयी जलवायु और आध्यात्मिक परिवेश योग और ध्यान के लिए अत्यंत उपयुक्त है। राज्य में सदियों पुरानी योग एवं आयुर्वेद की परंपरा आज भी जीवंत है। यह भूमि ऋषियों, योगियों और वैद्यों की तपस्थली रही है, और आज भी यहां से औषधीय वनस्पतियों की आपूर्ति देश-विदेश तक होती है।
उत्तराखंड की जैव विविधता में पाई जाने वाली कुटकी, जटामांसी और तिमूर जैसी दुर्लभ औषधियों के कारण यह क्षेत्र आयुष आधारित उद्योगों के लिए अनुकूल है। राज्य में ऋषिकुल और गुरुकुल जैसे 100 वर्ष से अधिक पुराने आयुर्वेदिक संस्थान कार्यरत हैं, जो पीढ़ियों से आयुर्वेदिक ज्ञान को आगे बढ़ा रहे हैं।
गुणवत्ता आधारित हर्बल उत्पादों व अनुसंधान की अपार संभावनाएं
मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तराखंड के पास प्रशिक्षित मानव संसाधन, हिमालयी जड़ी-बूटियों का समृद्ध भंडार और पारंपरिक सुपर फूड्स जैसे मंडुवा, झंगोरा, भट्ट, बिच्छूघास और किल्मोड़ा को वैश्विक बाजार में प्रस्तुत करने की क्षमता है। उन्होंने स्वास्थ्य संरक्षण, जीवनशैली जनित रोगों के समाधान और संयुक्त अनुसंधान की संभावनाओं पर भी बल दिया।
सांस्कृतिक विरासत की भव्य प्रस्तुति
कार्यक्रम में उत्तराखंड की सांस्कृतिक विविधता की भी झलक देखने को मिली। नंदा देवी राजजात से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ, जिसके पश्चात झोड़ा-छपेली, नाटी व जौनसारी लोकनृत्य प्रस्तुत किए गए। इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने राज्य की गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी परंपराओं को मंच पर जीवंत कर दिया।
विदेशी प्रतिनिधियों की गरिमामयी उपस्थिति
इस अवसर पर भारत में मेक्सिको के राजदूत फेडेरिको सालास, फिजी के उच्चायुक्त जगन्नाथ सामी, नेपाल के राजदूत डॉ. शंकर प्रसाद शर्मा, सूरीनाम के राजदूत अरुणकुमार हार्डियन, मंगोलिया के राजदूत डंबाजाविन गैम्बोल्ड, लातविया दूतावास के उप प्रमुख मार्क्स डीतॉन्स, श्रीलंका दूतावास से लक्ष्मेंद्र गेशन डिसनायके, रूसी दूतावास से क्रिस्टिना अनानीना और कैटरीना लज़ारेवा, योग गुरु पद्मश्री स्वामी भारत भूषण, विधायक अनिल नौटियाल, सचिव दीपेन्द्र कुमार चौधरी, गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ. विनय रुहेला, सूचना महानिदेशक बंसीधर तिवारी, चमोली जिलाधिकारी संदीप तिवारी, और एसपी सर्वेश पंवार सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।