नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य के 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर लगी रोक को हटा लिया है, जिससे राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने शुक्रवार को इस संबंध में सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया।
अदालत ने निर्वाचन आयोग को पहले घोषित चुनाव कार्यक्रम को तीन दिन आगे बढ़ाकर नया कार्यक्रम जारी करने का निर्देश दिया है। साथ ही, राज्य सरकार को याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों पर तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा गया है।
आरक्षण व्यवस्था पर उठे सवाल
सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ताओं की ओर से कई अहम बिंदु रखे गए। इनमें यह कहा गया कि पंचायत चुनावों के लिए निर्धारित आरक्षण रोस्टर में लंबे समय से कुछ ही वर्गों को प्रतिनिधित्व मिल रहा है, जो संविधान के अनुच्छेद 243 और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेशों का उल्लंघन है। उदाहरणस्वरूप, डोईवाला ब्लॉक में ग्राम प्रधानों की 63 प्रतिशत सीटें आरक्षित हैं।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने 9 जून और 11 जून को जो नियमावली और परिपत्र जारी किए, उनमें पहले से लागू आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित कर नए सिरे से आरक्षण व्यवस्था लागू की गई, जो कोर्ट के पूर्व निर्देशों और पंचायती राज अधिनियम 2016 की धारा 126 के अनुसार तभी वैध मानी जाती जब उसका प्रकाशन राज्य के राजपत्र में किया गया होता।
चुनाव आयोग को मिलेगा समय
महाधिवक्ता एस.एन. बाबुलकर ने जानकारी दी कि अब चुनाव कार्यक्रम तय करना राज्य निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी है और सरकार नियत समय में याचिकाओं पर अपना पक्ष रखेगी। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि याचिकाओं की सुनवाई के दौरान निर्वाचित प्रतिनिधियों को भी सुना जाएगा।
पंचायती राज सचिव चंद्रेश यादव ने अदालत परिसर में बताया कि नया चुनाव कार्यक्रम शीघ्र घोषित किया जाएगा और सरकार की योजना जुलाई माह में पंचायत चुनाव प्रक्रिया को पूर्ण करने की है।