केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों के संचालन पर लगी रहेगी रोक

केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की बीमारी के कारण उनकी मौत के बाद संचालन पर लगी रोक अभी जारी रहेगी। प्रदेश के पशुपालन सचिव डॉ. बी.वी.आर.सी पुरुषोत्तम ने बुधवार को जानकारी दी कि केदार घाटी में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए स्थानीय लोग, घोड़ा-खच्चर व्यवसायी और अन्य संगठनों ने यात्रा मार्ग पर इनके संचालन पर लगी रोक को आगे बढ़ाने की मांग की है, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।

संचालन पर फैसला जिला प्रशासन लेगा

पशुपालन सचिव ने बताया कि यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों के दोबारा संचालन को लेकर अंतिम निर्णय जिला प्रशासन के स्तर पर ही लिया जाएगा। बीते रविवार और सोमवार को यात्रा मार्ग पर 13 घोड़े-खच्चरों की मौत की खबर सामने आई थी, जिनमें से आठ घोड़ों की मृत्यु ‘डायरिया’ और पांच घोड़ों की ‘एक्यूट कोलिक’ से हुई थी। विस्तृत जानकारी के लिए मृत घोड़ों के नमूने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), बरेली भेजे गए हैं।

संक्रमण रोकने के लिए सख्त कदम

संक्रमण को गंभीरता से लेते हुए यात्रा मार्ग पर 22 से अधिक पशु चिकित्सकों की टीम तैनात की गई है। बीमार घोड़े-खच्चरों को यात्रा मार्ग पर चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। केवल स्वस्थ घोड़ों के नमूनों की जांच रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही उन्हें यात्रा मार्ग पर चलने दिया जाएगा।

हजारों घोड़ों की जांच

करीब एक महीने पहले रुद्रप्रयाग जिले के दो गांवों में घोड़ों के नमूने लिए गए थे, जिनमें कुछ में एक्वाइन इन्फ्लूएंजा के लक्षण पाए गए थे। इसके बाद 30 अप्रैल तक 26 दिनों में रिकॉर्ड 16 हजार घोड़ों की जांच की गई, जिसमें से 152 के सीरो संबंधी नमूने पॉजिटिव मिले, हालांकि आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आई थी।

यात्रा में घोड़ों का महत्व

केदारनाथ धाम की यात्रा में श्रद्धालुओं को करीब 16 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई करनी पड़ती है, जिसके लिए कई लोग पिट्ठू, पालकी या घोड़े-खच्चरों का सहारा लेते हैं। इस साल 30 अप्रैल से शुरू हुई चारधाम यात्रा में इन घोड़ों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

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