लोकतंत्र सेनानी पेंशन बंद कीजिए!


संसद में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इन्दिरा गांधी के आपातकाल और संविधान के उल्लंघन व तानाशाही का उल्लेख करने पर कांग्रेस पार्टी के मालिकान व उनके पिट्ठू बुरी तरह बौखला गए हैं। राहुल, प्रियंका के बाद सोनिया गांधी ने खुल कर इ‌मरजेंसी का समर्थन किया और केसी वेणुगोपाल ने मीडिया के जरिये सन् 1975 के आपातकाल का समर्थन किया। इस तरह संसद में आपातकाल का उल्लेख किये जाने तथा संविधान रक्षा पर मगरमच्छी आँसू बहाने वालों की पोल खुलने लगी तो राहुल ने हिन्दू समाज के हिंसक होने का मुद्दा उछाल कर देश का ध्यान हटाने की कोशिश की लेकिन उन दलों के नेताओं को क्या हुआ जो इमरजेंसी में इंदिरा गांधी की जेलो मैं ठूंसे गए थे?

1 जु‌लाई से 3 जुलाई, 2024 तक विपक्षी दलों ने कांग्रेस के आपातकाल का ढोल क्यों बजाया? लालू यादव, मुलायम सिंह, जार्ज फर्गन्डीज आदि दर्जनों नेता तो आपातकाल के पीड़ितों में शुमार रहे, भले ही बाद में उन्होंने सत्ता सुख भोगा। आज इन्हीं विपक्षी दलों के नेता आपातकाल लगाने व उसका समर्थन कर संविधान को पैरों तले कुचलने वाले नेताओं के वंशजों का झंडा उठा कर चल रहे हैं। कांग्रेस नेतृत्व की तानाशाही मनोवृत्ति और संविधान को सदा जेब में रख कर देश को धता बताने और वंशवादी, परिवारवादी गैर लोकतांत्रिक राजनीति करने में उन्हें जरा भी शर्म हया नहीं आती किन्तु इमरजेंसी में जेल काटने वालों को मति क्यूँ मारी गई?

इंदिरा गांधी की जेलों में रहे लोगों को मुख्यमंत्री बनने के बाद मुलायम सिंह यादव ने इन्हें ‘लोकतंत्र सेनानी’ घोषित कर इनको सरकारी खजाने से 3000 रुपये मासिक पेंशन देना शुरू किया था। योगी आदित्यनाथ ने इसे बढ़ाकर 20 हजार रुपये मासिक कर दिया। उत्तर प्रदेश में इस समय 4693 लोकतंत्र सेनानी और 1090 आश्रित हैं जो इंदिरा गांधी की तानाशाही की कृपा से पेंशन ले रहे हैं। एक ओर वे इंदिरा के वंशजों का गुणगान करते हैं, चुनाव में उनकी झंडाबरदारी करते हैं, दूसरी ओर जनता के टैक्स से जमा पैसे को डकार रहे हैं। वे कहते हैं कि 50 वर्ष बाद इम‌र‌जेंसी को याद करना बेमानी है। जरा भी नैतिकता होती तो खुद ही पेंशन लेना बंद कर देते। इन कथित लोकतंत्र सेनानियों को अब पेंशन दिए जाने का कोई औचित्य नहीं है। मुख्यमंत्री योगी जी को यह पेंशन तुरत बंद करनी चाहिए।

गोविन्द वर्मा

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