देश सीएए, एनआरसी, हिजाब पर हुए धार्मिक उन्मादों और सर तन से जुदा के क्रूरतम दृश्यों को देख चुका है और अब दुर्गापूजा, रामनवमी, हनुमान जन्मोत्सव पर आरंभ की गई हिंसा व साम्प्रदायिक टकराव रुकने का नाम नहीं ले रहा है। रामनवमी पर महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात व पश्चिमी बंगाल में जो हुआ, उस सबको दोहराने का क्रम अब भी जारी रहना दुखद और चिन्ता जनक है।
झारखंड के जमशेदपुर की शास्त्रीनगर बस्ती में आज साम्प्रदायिक टकराव के बाद आगजनी, लूट व फायरिंग की घटनायें हुई। तेमेंसरा में भी बवाल हुआ। सोनीपत (हरियाणा) के सांगल कलां गांव में बनाई गई नई मस्जिद में घुस कर नमाजियों पर लाठी डंडों से हमला किया गया। उत्तर प्रदेश के इटावा शहर के कटरा शमशेर में क्रिकेट मैच के विवाद को दंगाइयों ने साम्प्रदायिक रंग दे दिया। इफ्तारी से पहले हुवे मैच के विवाद के बाद मामला हिन्दू मुस्लिम बता दिया गया। पथराव और फायरिंग शुरू हो गई। हनुमान मंदिर और उसके पुजारी पर पत्थर फेंके गए। बाद में 20-30 बाइक सवार लड़कों ने मुस्लिमों की भीड़ पर फायरिंग की।
इटावा के बवाल का एक पक्ष यह भी है कि क्रिकेट मैच में दोनों टीमों में हिन्दू व मुस्लिम खिलाड़ी थे किन्तु समाज में अशान्ति का बीज बोने वाले तैयार बैठे थे। राहुल गांधी की एक बात तो सच साबित हुई जो उन्होंने लंदन में कही थी कि देश भर में पैट्रोल छिड़क दिया गया है, बस एक तीली दिखाने भर की देर है। चुनाव आते आते कहीं माचिस की पूरी डिब्बी खाली न हो जाए, इसकी ओर ध्यान देने का समय आ गया है।
खेद है कि नेतागण दंगों को भी पार्टी हित में इस्तेमाल करते हैं और दंगाइयों के प्रति नरमी बरतते हैं जब कि दंगाइयों को हिन्दू-मुस्लिम की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिये। रामनवमी जलूस के समय जिन चार हिन्दू युवकों ने मथुरा की जामा मस्जिद के छज्जे पर भगवा झंडा फहराने की हरकत की थी उन दुष्ट युवकों- हनी गौतम, काव्य, देवकरण तथा दाऊ ठाकुर को गिरफ्तार करजेल में डाल दिया गया। समाज के दुश्मनों पर हर स्थिति में सख्ती होनी चाहिए। कुछ नेता एक सम्प्रदाय का समर्थन हासिल करने को दूसरे सम्प्रदाय के निर्दोष लोगों का चालान कराते हैं। ये नेता दंगाइयों से भी कहीं ज्यादा गुनहगार है। इन नेताओं की गन्दी सोच के कारण ही देश में धार्मिक उन्माद भड़कता है। आशा की जाती है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सोनीपत के नमाजियों पर हमला करने वालों पर योगी आदित्यनाथ जैसी ही सख्ती बरतेंगे। देश में धार्मिक उन्माद पर तत्काल लगाम कसनी चाहिए।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’