बिजनौर जनपद के नगीना क्षेत्र से एक समाचार आया है जिससे प्रतीत होता है कि सरकार चाहे किसी भी दल की हो स्वार्थी एवं अवसरवादी तत्व सदा मौके का फ़ायदा उठा बहती गंगा में हाथ धोने को तत्पर रहते हैं। समाचार है कि एक खनन माफिया जिसका सत्तारूढ़ दल के नेता से संबंध है ग्राम टाडा माईदास की खो नदी में वन विभाग की जमीन पर खोदाई करवा रहा था। इसकी सूचना अधिकारियों को मिली तो नजीबाबाद के एस.डी.ओ राजीव कुमार, वन क्षेत्राधिकारी विकास सिमटोरिया डिप्टी रेंजर मनीष कुमार अपने अन्य कर्मचारियों के साथ खो नदी पर पहुंच गए और अवैध खनन से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली को पकड़कर थाने ले जाने लगे तो खनन माफिया व उसके साथ के लोगों के फावड़ों व लाठी-डंडों से अवैध खनन रोकने गए अधिकारियों, कर्मचारियों पर हमला बोल दिया। इस पर सभी अधिकारी जान बचाकर भागे किन्तु एक वन विभाग का चालक विजय यादव घायल हो गया।
इस अवैध धंधे व कारनामे में भी वैसा ही हुआ जैसा कांग्रेस, सपा, बसपा सरकारों में होता रहा है। भाजपा के एक नेता के प्रभाव, हस्तक्षेप या दबाव अथवा दबंगई से अवैध खनन के मामले का पटाक्षेप हो गया। वन विभाग के अधिकारियों ने खनन माफिया के विरुद्ध कोई तहरीर पुलिस को नहीं दी। उल्टे नगीना पुलिस थाने के निरीक्षक संजय सिंह ने कह दिया कि किसान अपने खेत से ही बालू (रेत) निकाल रहे थे। जब सत्ता का दबाव पड़ता है तो कोई भी अधिकारी हुकूमत से पंगा नहीं लेना चाहता। ऐसा प्रत्येक सरकार में होता आया है। कुछ वर्ष पूर्व योगी सरकार के एक मंत्री ने शाकुम्भरी क्षेत्र में अवैध खनन की कई ट्रालियां व जेसीबी मशीन पकड़ी थी। खनन माफिया का क्या हुआ? पता नहीं। बसपा-सपा काल में तो खनन माफिया विधायक एवं मंत्री बन गए। किंतु मोदी और योगी के राज में तो खनन माफियाओं की तरफदारी नहीं होनी चाहिए। टाडा माईदास की घटना में जिस भाजपा नेता ने खनन माफिया को बचाया और जिन बड़े अधिकारियों ने घटना पर पर्दा डाला उनके विरुद्ध भाजपा नेतृत्व को कार्यवाही करनी चाहिए ताकि जनता न कहें कि हमाम में सभी नंगे हैं। जब नेतृत्व सर्वजन हिताय की नीति पर चल रहा हो तो ऐसे स्वार्थी नेताओं का पार्टी में क्या काम है।
गोविंद वर्मा
संपादक देहात