तारिक फतेह: एक सच्चा सेक्यूलरवादी !

पाकिस्तान में जन्म लेने के बाद भी खुद को हिन्दुस्तानी मुसलमान बताने वाले सच्चे सेक्यूलरिस्ट तारिक फतेह का 24 अप्रैल 2023 को 73 वर्ष की आयु में ओंटारियो (कनाडा) में निधन हो गया। तारिक गर्व से कहते थे कि मैं पंजाबी राजपूत हूं। हिन्दुस्तान मेरे दिल में बसता है। उन्होंने संसार के सामने इस्लाम की धर्मनिरपेक्षता, करुणा, उदारता, प्रगतिशीलता, सामाजिक लोकतंत्र के पक्ष को रखा और बताया कि जेहाद के जरिये पूरी दुनिया को इस्लाम के झंडे के तले लाने वाला कथित इस्लाम अल्लाह का इस्लाम नहीं हैं। शरिया के सहारे कट्टरता फैलाने वाला इस्लाम मुल्ला जनित इस्लाम है।

तारिक फतेह का जन्म 20 नवम्बर 1949 को कराची (सिंघ-पाकिस्तान) में हुआ। ग्रेजुएशन के बाद करिअर की शुरुआत पाकिस्तान टी.वी. तथा दैनिक ‘कराची सन’ के रिपोर्टर के रूप में की। व्यवस्था और कठमुल्ला संस्कृति के विरुद्ध लिखने-बोलने पर दो बार जेल गये। 1977 में पाकिस्तान की जिया-उल-हक सरकार ने तारिक फतेह पर देश द्रोह का मुकदमा भी चलाया।

पाकिस्तान में पनप रही धार्मिक कट्टरता, आतंकवाद को प्रोत्साहन और सिस्टम पर दकियानूसी तत्वों के हावी होने के कारण तारिक फतेह पहले पाकिस्तान छोड़ कर सऊदी अरब गये, बाद में कनाडा में बस गए। दुनिया के अनेक देशों में भ्रमण कर इस्लामिक कट्टरवाद, आतंकवाद और जेहादी मानसिकता का विरोध किया।

तारिक फतेह ने मुल्लाओं की कट्टरता को अपने लेखन, भाषण, साक्षात्कारों के जरिये शिद्दत के साथ उजागर किया। दुनिया भर के कट्टरवादी मुसलमान सलमान रुश्दी, तस्लीमा नसरीन की तरह तारिक फतेह की जान के पीछे पड़ गए। उन्हें हत्या की धमकियां मिलने लगीं। भारत में गजवा-ए-हिन्द की मुहिम चलाने वाले जब सर तन से जुदा का कार्यक्रम चला रहे थे, तब उन्हें भी सर कलम करने की धमकी मिली थी। मुम्बई पुलिस ने छोटा शकील के दो गुर्गों को गिरफ्तार किया था। कठ मुल्लाओं ने उनकी हत्या पर 10 लाख रुपये का इनाम भी घोषित कर दिया था।

लोग भूल चुके होंगे कि कट्टरपंथी मुस्लिमों के एक समूह ने तारिक फतेह की गिरफ्तारी और उनकी टी.वी डिबेट पर पाबंदी की मांग को लेकर मुजफ्फरनगर कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया था।

भारत में तारिक फतेह को चाहने वाले जितने थे, दुश्मन उससे ज्यादा थे। वे टी. वी. डिबेट में अपने विपक्षी को मजबूत तर्कों और प्रमाणों से निरुत्तर कर देते थे तो बौखलाया विपक्षी गाली गलौच पर उतर आता था। तारिक फतेह की बेबाकी से कठमुल्ला तिलमिला जाते थे। उनके विरुद्ध भारत में एक प्रचार तंत्र बनाया गया जो उन्हें झूठा व इस्लाम विरोधी ठहराने में लगा रहता था।

तारिक साहब ने एक बार फिल्म स्टार करीना कपूर और सैफ अली से पूछा- लड़के का नाम तैमूर रख दिया, और नाम नहीं मिला था क्या? कभी तैमूर की हिस्ट्री पढ़ी है !’

मदरसों में मोहम्मद गजनबी की आइडियोलॉजी पढ़ाई जाती है जिसने सोमनाथ मन्दिर लूटा और तोड़ा। तारिक साहब की इस कड़वी सच्चाई को सेक्यूलर वाद का ढोंग करने वाले पचा नहीं पाते थे। वे अब हमारे बीच नहीं रहे। उनकी पुस्तक ‘चेजिंग अ मिराज: द ट्रैजिक इल्यूजन ऑफ एन इस्लामिक स्टेट’ उनकी ही तरह इतिहास का अंग बन चुकी है। ‘देहात’ एक सच्चे भारतीय सेक्यूलर मुसलमान, एक प्रखर लेखक, निष्पक्ष पत्रकार, निर्भीक वक्ता और साम्प्रदायिक सद्‌भावना के शलाका – पुरुष को आदर के साथ श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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