आतंकी संगठन अब, ‘हाइब्रिड’ टीम की टारगेट किलिंग के लिए सक्रिय

जम्मू-कश्मीर में मौजूद स्थानीय एवं विदेशी आतंकी, अब हमले की तरकीब बदल रहे हैं। पहले ‘एके-47’ जैसी स्वचालित राइफलों के जरिए सीधा हमला या मुठभेड़ होती थी। हालांकि सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में जो आतंकी मारे जाते हैं, वहां पर एके-47 और पिस्तौल, दोनों तरह के हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ‘हाइब्रिड’ आतंकी, पिस्तौल का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है, सीमा पार के बड़े आतंकी संगठनों से जुड़े ‘हाइब्रिड’ टेररिस्ट अब ‘टारगेट किलिंग’ पर फोकस कर रहे हैं। वजह, इसमें आतंकियों के बच निकलने की ज्यादा संभावना रहती है। सीधी मुठभेड़ में आतंकी मारे जाते हैं। घाटी में नए आतंकियों की भर्ती नहीं हो पा रही है। सीमा पार से होने वाली घुसपैठ पर भी काफी हद तक नियंत्रण कर लिया गया है। ऐसे में आतंकी संगठन अब, ‘हाइब्रिड’ टीम को टारगेट किलिंग के लिए सक्रिय कर रहे हैं।

सोमवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस एवं सुरक्षा बलों की टीम ने प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन ‘लश्कर-ए-तैयबा’ के दो स्थानीय ‘हाइब्रिड’ आतंकियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। ये दोनों आतंकी श्रीनगर से पकड़े गए हैं। कश्मीर जोन के आईजी विजय कुमार ने इसे सुरक्षा बलों की एक बड़ी कामयाबी बताया है। आतंकियों के कब्जे से 15 पिस्तौल, 30 मैगजीन, 300 गोलियां एवं गोला-बारूद बरामद हुआ है। शीर्ष पुलिस अधिकारी के अनुसार, हाइब्रिड आतंकवादी दोहरे चेहरे में लिपटे होते हैं। वे आतंकियों की तरह कहीं पर छिपते नहीं हैं। टारगेट को अंजाम देने से पहले वे आम लोगों के बीच ही घुले-मिले रहते हैं। यही वजह है कि वे पुलिस की फाइलों में भी नजर नहीं आते। यह बात किसी को नहीं मालूम होती कि वे भी आतंकी हैं और उन्हें किलिंग का टारगेट मिला है। एक टारगेट पूरा होने पर उन्हें पैसा मिलता है। ये आतंकी राइफल की बजाए पिस्टल का इस्तेमाल करते हैं। उसे ये अपनी फिरन में आसानी से छिपा सकते हैं। अगर राइफल होती है तो उसके पकड़े जाने का खतरा बना रहता है।  

हत्या करने से पहले चुनते हैं ऐसा इलाका

‘हाइब्रिड’ आतंकी, प्रत्यक्ष तौर से बड़े टेररिस्ट संगठनों के प्रमुखों से बात नहीं करते हैं। उन्हें टारगेट और पैसा, स्थानीय स्तर पर ही मिलता है। हाइब्रिड आतंकियों को थोड़ी बहुत ट्रेनिंग अवश्य दी जाती है। गोली कब और किस समय चलानी है, वारदात के बाद कहां पर छिपना है, मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना है या नहीं, अगर कहीं पर बात करनी है तो कौन सा मोबाइल सिम प्रयोग में लाया जाए। इन आतंकियों की कोशिश रहती है कि दिन ढलने के बाद टारगेट किलिंग हो। जिस व्यक्ति पर ये निशाना लगाते हैं, वहां यह बात जरूर देखी जाती है कि आसपास कम से कम एक तरफ का इलाका सुनसान हो और दूसरी तरफ कोई बड़ी बिल्डिंग या धर्म स्थल हो। एक दिशा में बाजार या मस्जिद और दूसरी ओर सुनसान राह, जैसे इलाके टारगेट किलिंग के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। वहां पर इन्हें भागने या पब्लिक के बीच खुद को छिपाने का अवसर मिल जाता है।
 

पुलिस एवं सुरक्षा बलों ने ऐसे ‘हाइब्रिड’ आतंकियों को पकड़ने के लिए एक सटीक योजना तैयार की है। उस पर काम भी शुरू हो गया है। खास बात है कि उस योजना में सुरक्षा बलों को ‘इंटेल’ की मदद से बड़ी सफलता भी मिल रही है। उत्तरी कश्मीर के जिला बारामूला के पट्टन के गोशबुग इलाके में करीब एक माह पहले आतंकवादियों ने एक सरपंच की हत्या कर दी थी। सोमवार को बड़गाम पुलिस ने दावा किया कि उन्होंने इस हत्या में शामिल लश्कर-ए-तैयबा के तीनों आतंकवादियों को उनके सहयोगी के साथ गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार आतंकवादियों से भारी मात्रा में हथियार व गोलाबारूद भी बरामद हुआ है।

बना रहे टारगेट किलिंग का एक्सपर्ट

सोमवार को ही जम्मू कश्मीर की बारामूला पुलिस ने गोशबुग के सरपंच मंजूर अहमद बंगरू की हत्या में शामिल तीन आतंकियों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से तीन पिस्तौल, दो ग्रेनेड, तीन मैगजीन व 32 गोलियां बरामद की गई हैं। इन आतंकियों ने 15 अप्रैल को सरपंच मंजूर अहमद की हत्या कर दी थी। तीनों आतंकी नूर मोहम्मद यातू, मोहम्मद रफीक पारे व आशिक हुसैन परे गोशबुग पट्टन के ही रहने वाले थे। लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य मोहम्मद अफजल लोन ने इन्हें टारगेट किलिंग का काम सौंपा था। आठ मई को जम्मू-कश्मीर के बांदीपुरा जिले में हिज्बुल मुजाहिदीन के दो हाइब्रिड आतंकवादी पकड़े गए थे। आतंकी आबिद अली और फैसल हसन पारे, पुलवामा के हेरपुरा अचान में रह रहे थे। उनके कब्जे से एक एके-47 राइफल, दो मैगजीन, 30 कारतूस, एक पिस्तौल व एक मैगजीन सहित गोला-बारूद बरामद किया गया था। इन्हें भी टारगेट किलिंग में एक्सपर्ट बनाया गया था।

छह मई को बारामूला जिले में लश्कर-ए-तैयबा का एक ‘हाइब्रिड’ आतंकी और उसका सहयोगी पकड़ा गया था। गिरफ्तार आतंकियों आशिक हुसैन लोन और उजैर अमीन गनी के कब्जे से एक पिस्तौल, एक मैगजीन, आठ कारतूस, दो हथगोले व दो यूबीजीएल में इस्तेमाल होने वाले हथगोले बरामद किए गए थे। इन दोनों आतंकियों का संबंध लश्कर-ए-तैयबा से रहा है। बारामूला पुलिस ने पिछले दिनों शराब की दुकान पर हुए आतंकी हमले में शामिल चार आतंकियों और उनके एक सहयोगी को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की थी। 19 मई को इनके कब्जे से पांच पिस्टल और 23 ग्रेनेड बरामद किए गए थे। पुलिस अधिकारी का कहना है, हाइब्रिड आतंकी भी जल्द ही खत्म हो जाएंगे। उन्हें लेकर पुलिस द्वारा पुख्ता इंटेलिजेंस इनपुट जुटाए जा रहे हैं।

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