तब मैंने हाई स्कूल भी पास नहीं किया था। युवा अवस्था में प्रवेश करते समय किशोर मन अच्छी और बुरी दोनों ही बातों को ग्रहण करता है। हिंदी पत्रकार जगत के दिग्गज पत्रकार ‘अक्षय कुमार जैन’, संपादक “नवभारत टाइम्स” के दर्शन का सौभाग्य पहली बार उनके गुलमोहर पार्क स्थित आवास में मिला। बाद में तो अनेक बार उनसे भेंट हुई। पिताश्री राजरूप सिंह वर्मा के अभिन्न मित्र स्व.आर.आर. गुप्ता (बल्लभगढ़ वाले) की कोठी भी गुलमोहर पार्क में थी। काकानगर वाला आवास छोड़ चुके थे।
अक्षय कुमार जैन पुराने समय के एलएलबी थे। वकालत में बहुत ऊचाइयों पर जा सकते थे किन्तु उन्होंने राष्ट्रवादी विचारों के कारण हिंदी पत्रकारिता को अपनाया और अपने समय के राष्ट्रवादी पत्रकार कृष्णदत्त पालीवाल के ‘सैनिक’ से अपना करियर आरम्भ किया।
उनकी दो बातें मुझे आज तक याद हैं। अपनी रूस (तब यूएसएसआर) यात्रा के संस्मरण सुनाते हुए बताया- मास्को के मुख्य डाकघर में जाकर घरवालों को पत्र लिख रहा था। कुछ गलती हो जाने के कारण मैंने वह कागज फाड़ कर नीचे फेक दिया और नया पन्ना लेकर पत्र लिखने लगा। (तब तो ई.मेल, इंटरनेट, वीडियो कॉल की बात सोची भी नहीं गयी थी अतः डाक ही संचार का साधन था) जैन साहब ने बताया कि इसी बीच एक रूसी लड़की वहां आई जहां वे पत्र लिख रहे थे। रूसी लड़की ने नीचे पड़ा कागज उठाकर अपने कोट की जेब में डाललिया और बाहर निकल गयी। अक्षय जी कहने लगे मैंने सोचा कि यह आयरन कर्टेन युग का मास्को है, जहां केजीबी (रूसी गुप्तचर एजेंसी) हर जगह सक्रिय हो सकती है। पत्र लिखकर बाहर आया तो देखा कि लड़की ने जेब से वह कागज निकाला और बिना पढ़े कूड़ेदान में डालकर आगे बढ़ गयी। स्वच्छता के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को देखकर मैं आश्चर्य में डूब गया। उस अज्ञात रूसी लड़की ने मुझे अपने चारों ओर स्वच्छ वातावरण बनाने की शिक्षा दे डाली।
रूस यात्रा का दूसरा संस्मरण भी प्रेरणादायक और अमल करने योग्य है। श्री अक्षय कुमार जैन ने बताया कि में सड़क किनारे खड़ा था। वह खुश्चेव-बुल्गानिन का युग था जब राजकपूर का गीत ‘मेरा जूता हैं जापानी’ रूस में हर युवक-युवती गुनगुनाते देखे जाते थे। एक रूसी लड़की मेरे पास आकर रुकी। उसने पूछा- इंडियन? मैंने हाँ कहा तो बोली- ‘हमारा क्रेमलिन’ जरूर देखकर जाना। और आगे बढ़ गयी। उसने ‘क्रेमलिन’ (रूसी सरकार का मुख्यालय) को इस तरह ‘हमारा’ कहा मानो यह उसकी निजी इमारत है और वह उसे देखने का आग्रह कर रही हो। रूसी लड़की के इस हमारा कहने से मुझे उसकी अपने देश के प्रति अगाढ़ निष्ठा का बोध हुआ।
फिर मेरे कंधे पर हाथ रख कर गुप्ता जी और पिताश्री से बोले- अब तो इन बच्चों को देश के प्रति यही निष्ठा रखनी होगी ताकि भारत निरंतर आगे बढ़ता जाये।
आज तो पत्रकारों में जबरदस्त खेमाबंदी है। देशहित, समाजहित और लोकहित की बातें भी टीआरपी बढ़ाने की गर्ज से करते हैं- वे युवा पीढ़ी को राष्ट्रभक्ति का क्या सन्देश देंगे?
गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’