राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि लोग मुझसे पूछते हैं कि हिंदुत्व क्या है, मैं उन्हें बताता हूं कि हिंदुत्व में ‘तत्व’ ‘एकत्व’ है, एकत्व की अनुभूति ही हिंदुत्व है. शनिवार को महाकुंभ 2025 के अंतर्गत प्रभु प्रेमी संघ कुंभ शिविर, प्रयागराज में जूनापीठाधीश्वर आचार्यमहामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि महाराज “पूज्य प्रभुश्री जी” के सानिध्य में “सनातन वैदिक हिन्दू संस्कृति में समाहित है – समष्टि कल्याण के सूत्र ” विषयक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसी अवसर पर सुनील आंबेकर ने ये बातें कहीं.
सुनील आंबेकर ने कहा कि हजारों साल पूर्व उत्पन्न हमारे गुरुओं की साधना योग थी. यह एक ऐसी पद्धति है, जो आज आधुनिक समय में विकसित से विकसित देशों को इसकी बहुत आवश्यकता पड़ती है. यह एक ऐसा शुद्ध भाव है, जिसमें हम किसी को पराया नहीं मानते हैं.
उन्होंने कहा कि हम केवल अपने और अपने परिवार का भला नहीं चाहते हैं. पूरे राष्ट्र और समस्त विश्व का भला चाहते हैं. ऐसा व्यक्तितव और ऐसी संस्कृति होती है. इससे ऐसे ज्ञान की उत्पत्ति होती है. वही उसी शक्ति का उपयोग विश्व कल्याण के लिए हो सकता है.
एकत्व की अनुभूति से हिंदुत्व बना है: सुनील आंबेकर
सुनील आंबेकर ने कहा कि हमारी संस्कृति ने हमें एकत्व का सूत्र दिया है. जिसके कारण आत्मभेद नहीं है. रंग-रूप अलग हो सकते हैं. आदतें अलग हो सकती हैं. लेकिन सभी में ईश्वर का तत्व हैं. उसकी धारा को हमारी ऋषि मुनियों ने पहचान लिया है.
उन्होंने कहा किआजकल लोग पूछते हैं कि हिंदुत्व क्या है? हिंदुत्व में तत्व एकत्व है. उस एकत्व की अनुभूति से हिंदुत्व बना है. एकत्व की अनु-पक्षी सभी को अपना मानता है. अपनत्व का भाव विस्तारित होता है. एकत्व का सूत्र बहुत महत्वपूर्ण है. उसी तरह से संस्कृति शब्द अलग-अलग व्याख्या करता है. रिश्तों को कैसे देखते हैं. उससे संस्कृति की अभिव्यक्ति होती है.
दिव्य संस्कृति का रक्षण हमारा दायित्व है: स्वामी अवधेशानन्द गिरि
इस अवसर पर अपने उद्बोधन में जूनापीठाधीश्वर आचार्यमहामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि महाराज ने कहा कि “भारत की सनातन वैदिक हिंदू धर्म संस्कृति प्रत्येक संदर्भ में नित्य-नूतन और समीचीन है. प्राणी मात्र में परमात्मा का दर्शन करने वाली ऐसी दिव्य संस्कृति का रक्षण-संवर्द्धन हमारा उत्तरदायित्व है.
इस अवसर पर स्वामी नारायण सम्प्रदाय के प्रमुख व बड़ताल गद्दी के अध्यक्ष राकेश प्रसाद महाराज, स्वामी माधवप्रिय दास महाराज, हिन्दू धर्म आचार्य सभा के महासचिव स्वामी परमात्मानन्द महाराज, श्रीदत्त पद्मनाभ पीठ गोवा के पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मेशानन्द महाराज के साथ बड़ी संख्या में सन्तगण और साधकों की उपस्थिति रही.