किसान आंदोलन का असर, पंजाब निकाय चुनाव में कांग्रेस की बल्ले-बल्ले, भाजपा ‘गढ़’ भी नहीं बचा पाई

चंडीगढ़। किसान आंदोलन के बीच पंजाब में हुए 117 स्थानीय निकायों के चुनाव में सबसे ज्यादा भाजपा ने मुंह की खाई है। दूसरी ओर, सत्तारूढ़ कांग्रेस को इन चुनावों में एकतरफ सफलता मिलती दिख रही है। अकाली दल का प्रदर्शन भी कुछ खास नहीं रहा है। वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए यह अच्छी खबर हो सकती है, वहीं पूरे देश को कांग्रेस मुक्त करने में जुटी भाजपा के लिए यह शुभ संकेत नहीं है। परिणामों के शुरुआती रुझानों में कांग्रेस एकतरफा बढ़त बनाए हुए हैं। 

भाजपा के गढ़ कहे जाने वाले पठानकोट नगर निगम में कांग्रेस ने 50 वार्डों में से 23 में जीत हासिल की है। वहीं, पठानकोट जिले के सुजानपुर के 15 वार्डों के लिए हुए निकाय चुनाव में 15 सीटों में से कांग्रेस ने 8 पर जीत हासिल की है, वहीं भाजपा 5 सीटें जीतने में सफल रही। निर्दलीय प्रत्याशी भी 2 वार्डों में जीतने में सफल रहे।

बानूर और दोराहा में भी कांग्रेस ने कब्जा जमाया। बानूर में कांग्रेस को 12 सीटें जबकि अकाली दल को 1 सीट पर संतोष करना पड़ा। रायकोट में कांग्रेस ने 15 सीटें जीतीं, दोराहा में कांग्रेस के खाते में 9 सीटें गईं, जबकि अकाली दल और आप को 1-1 सीट मिली। खन्ना में कांग्रेस ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की जबकि 6 सीटें अकाली दल को मिलीं। जगरोन में कांग्रेस 17 सीटें जीतने में सफल रही, वहीं 5 पर निर्दलीय और एक सीट पर अकाली दल के खाते में गई। 

 इसके साथ ही अबोहर, बठिंडा, कपूरथला, होशियारपुर, मोंगा और बटाला में कांग्रेस को अच्छी सफलता मिली है। इसी तरह फरीदकोट नगर निगम में कांग्रेस ने 25 वार्डों में से 16 में जीत दर्ज की है, वहीं अकाली दल 7 सीटें जीतने में सफल रहा। यहां आप को एक और निर्दलीय को एक सीट हाथ लगी है।  उल्लेखनीय है कि पंजाब में 14 फरवरी को 117 स्थानीय निकायों के चुनाव हुए थे। इनमें 109 नगरपालिका और नगर पंचायतें  हैं। अबोहर, बठिंडा, बटाला, कपूरथला, मोहाली, होशियारपुर, पठानकोट और मोगा 8 नगर निगम हैं। 

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