भारतीय-अमेरिकी अटॉर्नी रवि बत्रा ने कहा, 26/11 मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण वाले कैलिफोर्निया कोर्ट के आदेश पर विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को मुहर लगानी ही पड़ेगी।
उन्होंने बताया, अमेरिका विदेशी आतंकवाद से जूझ रहे हर देश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होने का दावा करता है। यह आदेश हमारी द्विपक्षीय प्रर्त्यपण संधि के तहत अमेरिका के कानूनी प्रोटोकॉल के लिहाज से पारदर्शी है।
बत्रा ने कहा, यह फैसला अब अदालत से विधिवत रूप से कार्यपालिका में विदेश मंत्री के समक्ष जाएगा और उन्हें प्रत्यर्पण अनुरोध को मंजूरी देने के लिए बाध्य होना पड़ेगा क्योंकि अमेरिका में 9/11 का आतंकवादी हमला पर्ल हार्बर से अधिक भयावह था। अमेरिका दुनियाभर में आतंकवाद पर अंकुश लगाने की प्रतिबद्धता दोहराता रहा है। वह विदेशी आतंकवाद से त्रस्त किसी भी देश के साथ डटकर खड़ा है। इस हमले में 6 अमेरिकी नागरिकों समेत 166 लोग मारे गए थे।
पीएम मोदी की यात्रा से पहले फैसला
पीएम नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से एक महीने पहले अमेरिकी कोर्ट ने राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी है। मोदी 22 जून को अमेरिका में होंगे।
2002 से 2015 के बीच विदेशों से 60 वांछित भगोड़े हुए भारत प्रत्यर्पित
फरवरी 2002 से दिसंबर 2015 तक विदेशी सरकारों ने 60 वांछित भगोड़ों को भारत प्रत्यर्पित किया। इनमें 11 भगोड़े अमेरिका से, 17 यूएई से, 4 कनाडा और 4 थाईलैंड से प्रत्यर्पित किए गए हैं। इनमें वर्ष 1993 के मुंबई सिलसिलेवार बम धमाकों में उम्रकैद की सजा काट रहे अबु सलेम को नवंबर 2005 में पुर्तगाल से व इकबाल शेख कासकर, इजाज पठान और मुस्तफा अहमद उमर को 2003 में यूएई से प्रत्यर्पित किया गया।
आतंकियों को निशान-ए-हैदर दिलाना चाहता था राणा
अमेरिकी अदालत के सामने रखे गए दस्तावेजों में से एक, दुबई में राणा के एक सहयोगी के ईमेल के मुताबिक तहव्वुर राणा ने 7 सितंबर, 2009 को हैडली से मुंबई हमलों में मारे गए नौ लश्कर आतंकियों को ‘निशान-ए-हैदर’ सम्मान देने की मांग की थी। यह पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है। राणा यह जानकर खुश था कि हैडली ने उसके उन पूर्व बयानों के आधार पर उसकी तारीफ की थी जिसमें उसने उसकी तुलना एक प्रसिद्ध जनरल से की थी।
राणा के जल्द प्रत्यर्पण के लिए अमेरिकी अधिकारियों के संपर्क में : विदेश मंत्रालय
नई दिल्ली। मुंबई आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाने का रास्ता साफ हो चुका है। इसको लेकर विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बृहस्पतिवार को कहा, हम यह सुनिश्चित करने के लिए अमेरिकी अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में हैं कि तहव्वुर राणा का जल्द से जल्द प्रत्यर्पण हो। हमने अमेरिका की स्थानीय अदालत का फैसला देखा। अमेरिकी पक्ष के साथ हमारी बातचीत लगातार जारी है। एजेंसी
1997 में हुई थी भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि
भारत और अमेरिका के बीच 25 जून 1997 को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल के शासन में प्रत्यर्पण संधि हुई थी। इस संधि पर भारत के तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री सलीम शेरवानी और अमेरिका के तत्कालीन उप विदेश मंत्री स्ट्रोब टैलबोट ने हस्ताक्षर किए थे।