जम्मू-कश्मीर से शुरू होगी विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना

यूक्रेन युद्ध के बाद विश्व भर में उभरे हालात में अनाज भंडारण को लेकर भारत की तैयारी के तहत विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना का पॉयलट प्रॉजेक्ट जम्मू-कश्मीर के बिलावर से शुरू होने जा रहा है। प्रशासन ने इसके लिए बिलावर के काह कछीड़ में 16 कनाल जमीन चिन्हित कर ली है।

इसके विकसित करने के लिए लिए मल्टी पर्पज कोआपरेटिव सोसाइटी सलोर को चिन्हित किया गया है। केंद्र सरकार की ओर से कृषि संबद्ध मंत्रालयों को जोड़कर विश्व के सबसे बड़े अनाज भंडारण परियोजना को शुरू किया जा रहा है। इसमें अलग-अलग विभागों के साथ ही सहकारिता विभाग भी शामिल है।

विभाग इस योजना के तहत अपनी कोआपरेटिव सोसाइटी को इस योजना से जीवित करने में जुट गया है। दरअसल, अबतक अनाज भंडारण सरकारी स्तर पर एफसीआई या फिर निजी स्तर पर किया जाता रहा है। 90 के दशक की तरह ही एक बार फिर से सहकारिता क्षेत्र में निष्क्रिय हो चुकी सोसाइटी को इस योजना में शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

सहकारिता विभाग की डिप्टी रजिस्ट्रार तस्बीना शेख ने बताया पॉयलट प्रॉजेक्ट के तहत बिलावर के काह कछीड़ को चुना गया है। इस इलाके में मोटे अनाज की अधिक उपज है। बसोहली और बनी के मुकाबले इस इलाके में मोटे अनाज का अधिक उत्पादन होता है।

साथ ही यह इलाका सेंटर प्वाइंट होने के साथ ही सड़क संपर्क से भी जुड़ा है। ऐसे में अनाज भंडारण के लिए यह उपयुक्त पाया गया है। जल्द ही इस जमीन को अधिग्रहित कर लिया जाएगा।

गेहूं, मक्की और बाजरा का हो सकेगा भंडारण

बिलावर, बसोहली और बनी के इलाकों में मक्की को मुख्य फसल के रूप में देखा जाता है। इसके अलावा अन्य मुख्य फसलों में गेहूं और बाजरा भी शामिल है। मोटे अनाज को लेकर विश्व स्तर पर बढ़ाई जा रही जागरूता के बाद बढ़ रही मांग में यह अनाज भंडारण केंद्र बेहतर भूमिका स्थापित कर सकेगा। अनाज भंडारण से किसी भी तरह की कमी के दौरान इससे नियमित सप्लाई सुनिश्चित की जा सकेगी।

विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना तैयार करना चाहता है भारत

खाद्य सुरक्षा हासिल करने की दिशा में एक और कदम के रूप में भारत जल्द ही दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना को लेकर काम करने जा रहा है। कोरोना महामारी और यूक्रेन युद्ध के दौरान इस योजना के लिए कई विभागों की योजनाओं का विलय कर अनाज भंडारण केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं।

यूक्रेन और रूस गेहूं, जौ और उर्वरकों के दुनिया के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से हैं। बड़ी कृषि योग्य भूमि होने के बावजूद भारत कम उत्पादकता से ग्रस्त है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारतीय खाद्य निगम में भारत का अनाज स्टॉक 2022 में पांच साल के निचले स्तर पर गिर गया।

उधर केंद्र सरकार की मुफ्त अनाज योजना से भी इसपर बोझ बढ़ गया है। ऐसे में सरकार इस योजना को लेकर विशेष रूची दिखा रही है। योजना सफल रही तो भारत किसी भी तरह की वैश्विक स्थिति में कई महीनों तक अपने अनाज भंडारण का इस्तेमाल कर सकेगा और बाजार सामान्य होने तक यह अनाज अर्थ व्यवस्था को मजबूत बनाए रखेगा।

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