चोरी और सीनाजोरी !

खबर है कि मुजफ्फरनगर जिले के कस्बा खतौली के कुछ मौहल्लों में 50 से 80 प्रतिशत तक बिजली चोरी की शिकायतें मिल रही थी। ऊपर से निर्देश आया कि जिन मौहल्लों में 50 प्रतिशत से अधिक लाइन लॉस (यानि बिजली चोरी) की शिकायतें हैं वहां विद्युत विभाग लाइनों व मीटर की जांच कराये। बिजली विभाग के जूनियर इंजीनियर तथा उनके अधिनस्थ संविदा कर्मचारियों ने जब कुछ विशेष मौहल्लों का आकास्मिक निरीक्षण किया तो पांच घरों में सीधे कटिया डाल कर बिजली चुराना पकड़ा गया। इसपर मौहल्ले वालों ने बिजली विभाग के लोगों पर हमला बोल दिया और मोबाइल फोन से बिजली चोरी की फोटो लेने से रोक दिया। कथित बिजली चोरों व मौहल्लावासियों का कहना है कि बिजली विभाग के कर्मचारी उनसे रिश्वत मांगने आये थे और पैसा ना मिलने पर चोरी का झूठा आरोप लगा रहे हैं। पुलिस ने सूचना मिलने पर विद्युत कर्मचारियों को भीड़ से बचाया। कर्मचारियों पर हमला करने और हंगामा करने का फौरी लाभ यह हुआ कि केवल पांच लोगों के विरुद्ध ही बिजली चोरी की रिपोर्ट लिखाई जा सकी, शेष बिजली चोर महकमे की जांच व चोरी पकड़े जाने से बच गए। चोरों व अपराधियों के पास अपने बचाव के लिए रेजीनेड फॉर्मूला रहता है। चाहे बिजली चोरी हो, घर के भीतर गोकशी हो, संदिग्ध अपराधी की तलाशी या दबिश का मसला हो, झट से पुलिस पर महिलाओं की बेपर्दगी या छेड़छाड़ की तोहमत मढ़ दी जाती है।

यह भी सही है कि बिजली चोरी कराने में महकमे के भ्रष्ट तत्वों का हाथ होता है लेकिन सब जगह ऐसा नहीं होता। कुछ खास मौहल्लों में या ग्रामों में जहां एक ही बिरादरी व सम्प्रदाय के लोगों का दबदबा होता है, छाती ठोक कर बिजली चोरी की जाती है। यहीं तक कि ऐलानिया कहा जाता है कि यदि बिजली विभाग का कोई कर्मचारी मीटर लगाने या मीटर चैक करने आया तो उसकी ख़ैर नहीं। गांवों तथा कस्बों की बात छोड़िये, मुजफ्फरनगर जिला मुख्यालय के एक विशेष मौहल्ले में बड़े स्तर पर बिजली चोरी की सूचना मिलने पर कुछ वर्ष पूर्व अधीक्षण अभियंता पी.ए.सी व क्षेत्राधिकारी पुलिस व अन्य अधिकारियों के साथ चैकिंग करने पहुंचे तो बिजली चोरों ने उन पर धावा बोल दिया। बिजली विभाग तथा पुलिस के लोग घायल भी हो गए और उन्हें बिना चैकिंग वापिस लौटना पड़ा। यह घटना अख़बारों की सुर्खियां बनी। अधीक्षण अभियंता का तो तबादला हो गया लेकिन आज तक एक भी बिजली चोर पकड़ा नहीं गया।

हालात यह है कि बसपा के राज में खुद ऊर्जा मंत्री ने छापा मार कर एक बड़े नेता की फैक्ट्री में करोड़ों की बिजली चोरी पकड़ी किन्तु नेता जी का बाल भी बांका नहीं हुआ, अलबत्ता बिजली विभाग के बड़े अधिकारियों के स्थानांतरण कर दिए गए। इसी प्रकार समाजवादी पार्टी के नेता के कारखानों में लाखों रुपये की बिजली चोरी पकड़ी गई किन्तु उनका कुछ नहीं बिगड़ा। यह सब क्या है? सीधे-सीधे वोट बैंक का चक्कर है। जो लोग बिजली नहीं चुराते या विभाग के भ्रष्ट तत्वों से सांठगांठ नहीं करते उन्हें बिजली चोरों का मतालबा अप्रत्यक्ष रूप से अदा करना पड़ता है क्योंकि विद्युत परिषद बिजली की दरें बढ़ा कर ईमानदार उपभोक्ताओं से घाटे की पूर्ति करता है।

बिजली चोरी या बिजली घोटाले में नेताओं का सीधा हाथ रहता है। इन दिनों बाहुबली अतीक अहमद की फिर से चर्चा हो रही है। जब मुलायम सिंह यादव का राज था, तब अतीक अहमद ने इलाहाबाद में नियुक्त बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता के मुंह पर भरी सभा में चांटा मार दिया था। संयोगवश इस घटना के अगले दिन मुलायम सिंह यादव इलाहाबाद पहुंचे तो पत्रकारों ने अतीक अहमद की गुंडागर्दी का उनसे जिक्र किया। यादव साहब ने बड़ी मासूमियत से कहा कि उक्त अधिकारी विपक्षी नेताओं से मिला हुआ है और जनता की सेवा से इंकार करता है। इस लिए अतीक ने उसकी ठुकाई की। मुलायम सिंह यादव का यह बयान सभी अखबारों में प्रथम पृष्ठ पर छपा था। लोकतंत्र के नाम पर वोट बैंक की राजनीति करने वाले नेताओं ने समस्त व्यवस्था को चौपट कर डाला है। इसका खामियाजा ईमानदार उपभोक्ताओं और कानून का पालन करने वाले नागरिकों को उठाना पड़ रहा है। कहा नहीं जा सकता कि चोरी और सीनाजोरी का यह सिलसिला कब तक चलता रहेगा।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here