उत्तराखंड की दो विधानसभा सीटों पर आज उपचुनाव हो रहे हैं। मंगलौर सीट पर बसपा विधायक के निधन के बाद से यह सीट खाली चल रही थी। जबकि बदरीनाथ सीट पर लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे।
तीन बजे तक हुआ इतना मतदान
विधानसभा उपचुनाव में दोपहर तीन बजे तक बदरीनाथ (चमोली) में 40.05 प्रतिशत जबकि मंगलौर (हरिद्वार) में 56.21 प्रतिशत मतदान हुआ।

मंगलाैर के पोलिंग बूथ पर हंगामा
मंगलाैर में किसान इंटर कॉलेज मुंडलाना में लोगों ने धीमी गति से मतदान का आरोप लगाया। लोगों का कहना था कि वह सुबह नाै बजे से लाइन में लगे हैं, लेकिन ढाई बजे तक भी उनका नंबर नहीं आया। जिसके बाद यहां हंगामा हो गया। मामला इतना बढ़ गया कि पुलिस को लाठियां फटकारनी पड़ी। यहां पहले काॅलेज के गेट के अंदर लाइन लग रही थी। इसके बाद पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए लोगों को बाहर खड़ा किया। वहीं, हंगामे की आशंका को लेकर यहां भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
मंगलौर फायरिंग प्रकरण में जिला प्रशासन हरिद्वार का बयान आया सामने
मंगलौर फायरिंग प्रकरण में जिला प्रशासन हरिद्वार ने बताया कि मंगलौर उपचुनाव के दौरान मतदेय स्थल पर फायरिंग की सूचना पूर्णरूप से तथ्यहीन है।
एक बजे तक मतदान
मंगलौर विधानसभा उप निर्वाचन में अपराह्न 01 बजे तक 44.10 % मतदान हुआ है। वहीं बदरीनाथ विधानसभा में 34.50 प्रतिशत मतदान हुआ है।
राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने किया मतदान
पोखरी ब्राह्मण थाला में अपने गांव के पोलिंग बूथ पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और राज्य सभा सांसद महेन्द्र प्रसाद भट्ट ने मतदान किया।
11 बजे तक दोनों सीटों में मतदान
मंगलौर – 26.99%
बदरीनाथ – 21.20%
आठ से दस राउंड हवाई फायर हुई
मंगलौर सीट पर मतदान के दौरान आठ से दस राउंड हवाई फायर हुई। मामले में एसपी ग्रामीण रुड़की, हरिद्वार स्वपन किशोर का कहना है कि असामाजिक तत्वों द्वारा हमला किए जाने की बात के बारे में जानकारी एकत्रित की जा रही है। फिलहाल स्थिति सामान्य है और शांतिपूर्वक तरीके से चुनाव हो रहा है।
3838 मतदाता पहली बार अपने गांव में देंगे वोट
सहायक मुख्य निर्वाचन अधिकारी मस्तू दास ने बताया कि बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र के सीमांत क्षेत्रों में पहली बार नौ हाई एल्टीट्यूड पोलिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं, जिनमें 17 गावों के 3838 मतदाता मतदान करेंगे। राज्य बनने के बाद से सामान्य रूप से विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों के दौरान शीतकाल में इन क्षेत्रों में स्थानीय मतदाताओं की ओर से प्रवास न किए जाने की स्थिति में उनके ग्रीष्मकालीन प्रवास वाले गांवों में मतदान की व्यवस्था की जाती थी।