तेल आधारित अर्थव्यवस्था के लिए पहचाने जाने वाले खाड़ी देशों में अब बदलाव की बयार बह रही है। इसी कड़ी में ओमान ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए 2028 से अपने नागरिकों पर आयकर लगाने की घोषणा की है। यह पहली बार है जब किसी खाड़ी देश ने अपने नागरिकों से आयकर वसूलने का निर्णय लिया है।
उच्च आय वालों पर लागू होगा टैक्स
ओमान सरकार ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल यह कर केवल उन नागरिकों पर लगाया जाएगा जिनकी वार्षिक आय 1,09,000 डॉलर या उससे अधिक है। इस श्रेणी में आने वाले लोग ओमान की कुल आबादी का लगभग एक प्रतिशत हैं। सरकार ने रविवार को इस निर्णय की आधिकारिक घोषणा कर दी है।
क्यों उठाया यह कदम?
ओमान के वित्त मंत्री के अनुसार, वैश्विक ऊर्जा बाजार में उतार-चढ़ाव और तेल की कीमतों में अस्थिरता को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। वर्तमान में ओमान की 85% सरकारी आय तेल और गैस के निर्यात से आती है। ऐसे में देश अब अपने राजस्व के स्रोतों को विविध बनाने और 2040 विज़न के तहत तकनीक आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना चाहता है।
खाड़ी देशों में कर नीति पर संभावित बदलाव
खाड़ी देशों में आमतौर पर नागरिकों पर टैक्स नहीं लगाया जाता, जिससे ये क्षेत्र विदेशी निवेश और कामगारों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का अनुमान है कि आने वाले वर्षों में अन्य खाड़ी देश भी ओमान की राह पर चलते हुए आयकर व्यवस्था लागू कर सकते हैं, जिससे इन देशों को आर्थिक रूप से अधिक स्थायित्व मिल सके।