समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को लखनऊ स्थित सपा मुख्यालय में प्रेस वार्ता के दौरान स्पष्ट किया कि ‘इंडिया’ गठबंधन पूरी तरह एकजुट है और आगामी विधानसभा चुनाव मिलकर लड़े जाएंगे। उन्होंने कहा कि सीटों को लेकर फैसला समय आने पर आपसी समझ से होगा। अखिलेश ने कहा कि पार्टी किसी सांसद के बयान या सोशल मीडिया पोस्ट पर टिप्पणी करने की जरूरत नहीं समझती।
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की नीतियों पर तीखा हमला करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार के एजेंडे में न तो रोजगार है और न ही कारोबार। महंगाई और बेरोजगारी को बढ़ाने के साथ-साथ भाजपा सरकार ने देश का बाजार विदेशी कंपनियों को सौंप दिया है। खुद को राष्ट्रवादी बताने वालों ने विदेशी निवेश और नीतियों के जरिए घरेलू बाजार को विदेशी उत्पादों से भर दिया है।
शिक्षा, बिजली और किसानों की उपेक्षा पर निशाना
अखिलेश यादव ने राज्य सरकार की नीतियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि न तो बिजली उत्पादन में सुधार हुआ है और न ही आपूर्ति व्यवस्था में कोई ठोस कदम उठाया गया। प्राथमिक विद्यालयों की हालत बदतर हो चुकी है, और छात्र स्कूलों से दूर होते जा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी इंटर कॉलेजों की जमीनें भाजपा नेताओं के निशाने पर हैं।
गंगा नदी की सफाई के नाम पर चलाए गए ‘नमामि गंगे’ अभियान को लेकर उन्होंने कहा कि इस योजना में हजारों करोड़ खर्च हुए लेकिन परिणाम शून्य रहे। गेहूं खरीद को लेकर भी उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह निर्धारित लक्ष्य के 20 प्रतिशत तक भी नहीं पहुंच पाई। समाजवादी पार्टी की सरकार में शुरू हुए दुग्ध प्लांट और बुनकरों के लिए की गई योजनाएं भाजपा सरकार में ठप हो गईं।
विमान दुर्घटना पर सरकार को घेरा
अहमदाबाद में हुई विमान दुर्घटना को लेकर अखिलेश यादव ने गंभीर चिंता जताई और कहा कि इतनी बड़ी घटना के बावजूद अब तक किसी जिम्मेदार व्यक्ति का इस्तीफा नहीं आया। उन्होंने कहा कि पुलवामा या पहलगाम जैसे मामलों में उनकी पार्टी ने इस्तीफे की मांग नहीं की, लेकिन यहां सरकार को जवाबदेह ठहराना जरूरी है। उन्होंने निजीकरण को बढ़ती दुर्घटनाओं का कारण बताते हुए आरोप लगाया कि अयोग्य लोगों को सिर्फ अपने करीबियों को फायदा पहुंचाने के लिए उच्च पदों पर बैठा दिया गया है।