पाकिस्तान में सेना और राजनीति के समीकरण में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। देश के मौजूदा सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत कर दिया गया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह अहम निर्णय लिया गया, जिसे सैन्य और राजनीतिक दृष्टिकोण से एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
यह सिर्फ एक सैन्य प्रोमोशन नहीं, बल्कि देश के शक्ति संतुलन और सिविल-मिलिट्री संबंधों में गहरी रणनीतिक चाल के रूप में देखा जा रहा है। पाकिस्तान के इतिहास में यह दूसरी बार है जब किसी अधिकारी को पांच सितारा फील्ड मार्शल की उपाधि मिली है। इससे पहले यह सम्मान 1959 में अयूब खान को मिला था।
फील्ड मार्शल: केवल सैन्य उपाधि नहीं
पाकिस्तानी संदर्भ में फील्ड मार्शल का पद न केवल एक उच्च सैन्य रैंक है, बल्कि यह राजनीतिक असर और नीति निर्धारण में गहरा प्रभाव रखता है। अतीत में अयूब खान ने इसी रैंक से सत्ता संभाली थी और बाद में राष्ट्रपति बने थे। अब मुनीर को यह पद मिलना एक नई सैन्य राजनीतिक दिशा का संकेत माना जा रहा है।
प्रमोशन के पीछे ‘बुनयान-उम-मार्सूस’
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जनरल मुनीर को यह रैंक भारत के खिलाफ ‘ऑपरेशन बुनयान-उम-मार्सूस’ में नेतृत्व के चलते प्रदान की गई। इस अभियान की पूरी जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक सैन्य रणनीति या ऑपरेशन रहा, जिससे भारत को सख्त संदेश देने की कोशिश की गई।
सैन्य जीवन और शिक्षा
जनरल मुनीर का जन्म 1968 में हुआ और वे जालंधर से आए परिवार से ताल्लुक रखते हैं। शुरुआती पढ़ाई एक मदरसे से शुरू हुई, बाद में वे रसालपुर और रावलपिंडी के स्कूलों से पढ़े। उन्होंने जापान, मलेशिया और पाकिस्तान के प्रतिष्ठित सैन्य संस्थानों से ट्रेनिंग ली है, जिसमें नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी से स्ट्रैटेजिक सिक्योरिटी में मास्टर्स डिग्री भी शामिल है।
तेज़ी से आगे बढ़ता करियर
- 1986: सेना में कमीशन
- 2014: मेजर जनरल
- 2016: मिलिट्री इंटेलिजेंस के डायरेक्टर जनरल
- 2018: ISI प्रमुख
- 2022: सेना प्रमुख
- 2024: फील्ड मार्शल
ISI से हटाने की वजह
जब वे 2018 में ISI के डायरेक्टर बने, तब ऐसा लगा कि वे करियर की ऊंचाई पर हैं। लेकिन आठ महीने बाद उन्हें इस पद से हटा दिया गया। बताया गया कि उन्होंने इमरान खान की पत्नी के खिलाफ भ्रष्टाचार की फाइलें पेश की थीं, जिससे तत्कालीन सरकार नाराज हो गई थी।
शहबाज शरीफ से नज़दीकियां
इमरान खान की सत्ता से विदाई के बाद शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बने और उन्होंने बाजवा की सेवानिवृत्ति से पहले ही मुनीर को सेना प्रमुख नियुक्त कर दिया। अब उनकी पदोन्नति यह इशारा देती है कि शहबाज सरकार सेना के साथ मिलकर स्थिर शासन की रणनीति अपना रही है।
विशिष्ट सम्मान: स्वॉर्ड ऑफ ऑनर
2022 में मुनीर को ‘स्वॉर्ड ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया गया था, जो पाकिस्तान सेना का सर्वोच्च व्यक्तिगत पुरस्कार माना जाता है। अब तक केवल दो अफसरों को यह सम्मान मिला है।
आगे का रास्ता: क्या यह सत्ता की ओर इशारा है?
हालांकि फील्ड मार्शल का पद किसी संवैधानिक जिम्मेदारी से नहीं जुड़ा होता, फिर भी इसका राजनीतिक असर बहुत गहरा होता है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यह रैंक मुनीर को न केवल सैन्य नियंत्रण देता है, बल्कि नीति-निर्माण और राजनीतिक दिशा देने का मंच भी प्रदान कर सकता है।
कुछ विश्लेषक इसे पाकिस्तान में एक ‘छाया शासन’ की शुरुआत मान रहे हैं, जहां लोकतांत्रिक सरकार संचालन में रहती है, लेकिन रणनीतिक फैसले सेना के इशारों पर तय होते हैं।