2011 के बाद पहली बार, सरकारी बैंकों (PSBs) ने ऋण वितरण की रफ्तार में निजी बैंकों (PVBs) को पीछे छोड़ दिया है। वित्त वर्ष 2024-25 के अंत में सरकारी बैंकों ने 13.1% की सालाना ऋण वृद्धि दर्ज की, जबकि निजी बैंकों की ग्रोथ 9% रही। सरकारी बैंकों की यह मजबूती होम लोन, ऑटो लोन और कॉर्पोरेट ऋण जैसे प्रमुख क्षेत्रों में देखने को मिली है।
बाजार में सरकारी बैंकों का भरोसा बढ़ा
ICICI बैंक का प्राइस-टू-बुक रेश्यो फिलहाल करीब 3.5 है, वहीं SBI का यह आंकड़ा 1.5 के आस-पास है। यह दोनों बैंकों की वृद्धि, मुनाफा और जोखिम प्रोफाइल की तुलना को दर्शाता है। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि सरकारी बैंकों में भरोसे की वापसी और उनकी रणनीतिक स्थिति में सुधार ने यह अंतर पैदा किया है।
निजी बैंकों की चिंता बढ़ी
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ICICI बैंक के ग्रुप सीएफओ अनिंद्य बनर्जी ने हाल ही में बताया कि सरकारी बैंकों का तेजी से बढ़ना प्रतिस्पर्धा में एक नई चुनौती बन गया है। उन्होंने कहा, “हमें अब नए लीवर तलाशने होंगे जिससे लाभप्रदता को बनाए रखते हुए वृद्धि जारी रह सके।” इसी तरह, HDFC बैंक के CFO श्रीनिवासन वैद्यनाथन ने भी कॉर्पोरेट और SME लोन में बढ़ती प्रतिस्पर्धा की ओर इशारा किया है, जो खासतौर पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से आ रही है।
14 वर्षों के अंतर को किया पार
आरबीआई और बर्नस्टीन की रिपोर्ट के मुताबिक, 2011 में जहां PSB और PVB के बीच ऋण वृद्धि में केवल 4% का अंतर था, वही अंतर 2016 में बढ़कर 20% हो गया था। लेकिन कोविड महामारी के बाद यह अंतर धीरे-धीरे कम होता गया और अब फिर से 4% पर आ गया है।
बाजार हिस्सेदारी में भी मिला बढ़त
वित्त वर्ष 2025 की समाप्ति तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का कुल लोन पोर्टफोलियो 98.2 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है, जो बाजार की कुल हिस्सेदारी का 52.3% है। दूसरी ओर, निजी बैंकों का लोन पोर्टफोलियो 75.2 लाख करोड़ रुपये रहा, जो कुल हिस्सेदारी का लगभग 40% है। आंकड़ों के अनुसार, जहां पांच प्रमुख सरकारी बैंकों ने अपने कॉर्पोरेट ऋण में 10% की बढ़ोतरी दर्ज की, वहीं निजी बैंकों की ग्रोथ 4% से कम रही।