जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए देशभर में मॉक ड्रिल की जा रही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को इसके निर्देश जारी किए थे। इसके तहत दिल्ली, मुंबई, मध्य प्रदेश और कर्नाटक समेत विभिन्न राज्यों में नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल आयोजित की जा रही है।
युद्ध और आपातकाल में क्यों होती है मॉक ड्रिल?
मॉक ड्रिल आमतौर पर युद्ध या आपातकाल की स्थिति में की जाती है। इसका उद्देश्य आम नागरिकों को संभावित खतरे से बचाव और उससे निपटने के तरीके सिखाना है। इस दौरान हमले के सायरन, ब्लैकआउट प्लान, नागरिकों की ट्रेनिंग और जोखिम क्षेत्र से सुरक्षित निकासी जैसी प्रक्रियाओं का अभ्यास कराया जाता है।

गृह मंत्रालय के निर्देश और कैटेगरी
गृह मंत्रालय ने मॉक ड्रिल के लिए स्थानों को संवेदनशीलता के आधार पर तीन श्रेणियों में विभाजित किया है:

- कैटेगरी-1: सबसे संवेदनशील जगहें
- कैटेगरी-2: संवेदनशील जगहें
- कैटेगरी-3: कम संवेदनशील जगहें
1971 युद्ध के बाद पहली बार मॉक ड्रिल
देश में आखिरी बार मॉक ड्रिल 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान हुई थी। उस समय हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन बजाए गए थे और नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के निर्देश दिए गए थे।

मॉक ड्रिल में शामिल मुख्य गतिविधियां:
- हमले का सायरन बजाना
- नागरिकों को आपात स्थिति से निपटने का प्रशिक्षण
- ब्लैकआउट एक्शन प्लान
- सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के निर्देश
मॉक ड्रिल का उद्देश्य नागरिकों को किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार करना है, ताकि संकट के समय में नुकसान को कम किया जा सके।