महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को एक अहम निर्णय लेते हुए आपातकाल के दौरान जेल में बंद रहे लोगों को मिलने वाली मासिक सहायता राशि को दोगुना करने की मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही, राज्य मंत्रिमंडल ने इस योजना में अब लाभार्थी के जीवनसाथी को भी शामिल करने का निर्णय लिया है।
‘गौरव योजना’ में संशोधन को हरी झंडी
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में ‘गौरव योजना’ के तहत मिलने वाले लाभों को लेकर महत्वपूर्ण बदलाव किए गए। वर्तमान व्यवस्था के तहत 1975 से 1977 के बीच लगे आपातकाल के दौरान एक महीने तक जेल में रहने वाले व्यक्तियों को ₹5,000 और एक महीने से अधिक जेल में बिताने वालों को ₹10,000 की मासिक पेंशन मिलती है। नए संशोधन के बाद यह राशि दोगुनी हो जाएगी।
योजना के तहत पात्रता और प्रक्रिया
राज्य के मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि किसी पात्र व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिजनों को—एक महीने या उससे कम समय जेल में रहने पर ₹2,500 और अधिक अवधि के लिए ₹5,000—मासिक पेंशन प्रदान की जाती है। योजना की शुरुआत वर्ष 2014 में फडणवीस सरकार के पहले कार्यकाल में हुई थी। आवेदन की प्रक्रिया में जिला कलेक्टर की अगुवाई वाली समिति द्वारा पात्रता की जांच की जाती है, जिसमें लाभार्थियों को ₹100 मूल्य के स्टांप पेपर पर आवेदन करना होता है।
बंद हुई थी योजना, दो साल बाद फिर बहाल
आपातकाल की घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को की थी, जो 21 मार्च 1977 तक लागू रही। इस अवधि में जेल में रहे लोगों को सम्मान देने के उद्देश्य से शुरू की गई यह योजना 2020 में महा विकास अघाड़ी सरकार के समय बंद कर दी गई थी। हालांकि, 2022 में एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार बनने के बाद इसे पुनः प्रारंभ किया गया।