विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ से जुड़े कई दलों के नेताओं ने बुधवार को नई दिल्ली में चुनाव आयोग से मुलाकात कर विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर गहरी चिंता जताई। कांग्रेस, राजद, माकपा, भाकपा, भाकपा (माले), राकांपा (शरद पवार गुट) और समाजवादी पार्टी समेत 11 दलों के प्रतिनिधियों ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और अन्य चुनाव आयुक्तों से इस संबंध में बातचीत की।
नेताओं का कहना था कि बिहार में विधानसभा चुनाव से कुछ माह पहले ही मतदाता सूची की विशेष जांच शुरू करना उचित नहीं है। यह प्रक्रिया पहले से ही राज्य में प्रारंभ हो चुकी है और इसे अगले वर्ष चुनावों की तैयारी कर रहे असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी लागू किया जाना है।
“चुनाव आयोग में प्रवेश पर पाबंदियां संवाद में बाधा” — सिंघवी
बैठक के बाद कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि आयोग के एक हालिया निर्देश के अनुसार केवल पार्टी अध्यक्षों को ही आयोग में प्रवेश की अनुमति दी गई, जिसका उन्होंने विरोध किया। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है जब आयोग ने राजनीतिक प्रतिनिधियों के प्रवेश पर नियम तय किए और वरिष्ठ नेताओं को लंबे समय तक बाहर प्रतीक्षा करनी पड़ी, जबकि नाम पहले ही भेजे गए थे।
सिंघवी ने यह भी बताया कि बिहार में आखिरी बार एसआईआर वर्ष 2003 में किया गया था, जो लोकसभा चुनाव से एक वर्ष और विधानसभा चुनाव से लगभग दो वर्ष पहले हुआ था। उन्होंने यह भी जोड़ा कि तब से अब तक राज्य में कई चुनाव हो चुके हैं, और लगभग आठ करोड़ मतदाता इस प्रक्रिया से प्रभावित होंगे।
“क्या मतदाता अधिकार छीना जा रहा?” — विपक्ष के सवाल
राजद सांसद मनोज झा ने सवाल उठाया कि कहीं यह प्रक्रिया नागरिकों के मताधिकार को सीमित करने की कोशिश तो नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ के सिद्धांत से छेड़छाड़ हुई, तो विरोध दर्ज कराया जाएगा। झा ने मतदाता सूची में संशोधन के लिए मांगे जा रहे दस्तावेजों की भी आलोचना की।
भाकपा (माले) के नेता दीपंकर भट्टाचार्य ने यह चिंता जताई कि बिहार की लगभग 20 प्रतिशत आबादी काम की तलाश में राज्य से बाहर रहती है। उन्होंने कहा, “आयोग का कहना है कि मतदाता को ‘मूल निवासी’ होना चाहिए, तो क्या प्रवासी मजदूरों का नाम मतदाता सूची से हट जाएगा? गरीबों के पास आवश्यक प्रमाणपत्र नहीं होते।”
आयोग का पक्ष
वहीं, चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि विशेष पुनरीक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मतदाता सूची में केवल योग्य नागरिकों के नाम हों और अपात्र नाम हटाए जा सकें। इसके साथ ही यह भी बताया गया कि अवैध प्रवासियों को सूची से बाहर रखने के लिए विशेष कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे चुनाव की पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।