शाहजहांपुर जिले के जलालाबाद नगरवासियों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने नगर का नाम ‘परशुरामपुरी’ किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। अब यह प्रस्ताव अंतिम मंजूरी के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा गया है। प्रमुख सचिव ने मंत्रालय से अनुरोध किया है कि वह शीघ्र अनुमति दे, जिससे संबंधित प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।
प्रस्ताव में उल्लेख किया गया है कि जलालाबाद को भगवान परशुराम की जन्मस्थली माना जाता है और यहां उनका एक प्राचीन मंदिर भी स्थित है। इस ऐतिहासिक और धार्मिक आधार पर लंबे समय से नगर का नाम बदलने की मांग उठती रही है। नगर पालिका परिषद ने मार्च 2018 और सितंबर 2023 में इस संबंध में प्रस्ताव पारित किए थे। अप्रैल में डीएम ने इन प्रस्तावों के साथ अपनी संस्तुति राज्य सरकार को भेजी थी।
प्रमुख सचिव द्वारा गृह मंत्रालय को भेजे पत्र में यह भी कहा गया है कि केंद्रीय राज्यमंत्री जितिन प्रसाद ने भी अप्रैल में लोगों की आस्था को देखते हुए नगर का नाम ‘परशुरामपुरी’ करने की मांग की थी। इस पर राज्य सरकार ने सहमति व्यक्त करते हुए प्रस्ताव को केंद्र को अनुमोदन के लिए भेजा है।
वर्षों से इस मांग को लेकर विभिन्न सामाजिक संगठनों ने लगातार ज्ञापन सौंपे हैं। भगवान परशुराम जन्मभूमि प्रबंध समिति, बाबा परशुराम सर्व कल्याण समिति, राष्ट्रीय बजरंग दल और अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद जैसे संगठनों ने नियमित रूप से सरकार से यह मांग दोहराई। बीते एक वर्ष से हर माह की पांच तारीख को ज्ञापन सौंपने का क्रम भी जारी था। अप्रैल में समाधान दिवस के अवसर पर जिलाधिकारी को भी ज्ञापन सौंपा गया था, जिसके बाद ईओ को बोर्ड में पारित प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए गए थे।
पूर्व जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह ‘भन्नू’ ने भी इस मांग को लेकर केंद्रीय मंत्री और डीएम को पत्र लिखे थे। इसके चलते यह मुद्दा लगातार गति पकड़ता गया।
24 अप्रैल 2022 को इस नगर को सरकार द्वारा भगवान परशुराम की जन्मस्थली घोषित किया गया था। उस समय पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने मंदिर प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम में यह घोषणा की थी। उन्होंने मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण और इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का भी वादा किया था।
मंदिर और आसपास के क्षेत्र के विकास के लिए अब तक लगभग 30 करोड़ रुपये स्वीकृत किए जा चुके हैं। मुख्यमंत्री संवर्धन योजना के तहत 19 करोड़ रुपये मंदिर प्रांगण के कार्यों के लिए मंजूर हुए हैं, जबकि अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत 11 करोड़ रुपये रामताल के पुनरोद्धार और मंदिर तक सुगम रास्ता बनाने जैसे कार्यों के लिए स्वीकृत किए गए हैं। इन योजनाओं पर तेजी से काम जारी है।