नीट यूजी 2025 के फाइनल आंसर-की और परिणाम को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। छात्र शिवम गांधी रैना की ओर से दायर इस याचिका में फाइनल उत्तर कुंजी में तीन प्रश्नों के उत्तरों को गलत बताते हुए परिणाम पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और आर. महादेवन की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि इस प्रकार की व्यक्तिगत आपत्तियों को न्यायालय में स्थान नहीं दिया जा सकता। पीठ ने यह भी उल्लेख किया कि ठीक ऐसे ही एक मामले को पहले ही खारिज किया जा चुका है।
याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि प्रश्न पत्र में दिए गए एक प्रश्न के चार विकल्पों में से अधिक एक उत्तर सही हो सकते थे, लेकिन फाइनल आंसर-की में केवल एक उत्तर को मान्यता दी गई। इस पर कोर्ट ने कहा कि “आप सैद्धांतिक रूप से सही हो सकते हैं, लेकिन हम हर व्यक्तिगत मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकते।”
वकील द्वारा विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग पर कोर्ट ने साफ किया कि यह एक व्यापक राष्ट्रीय परीक्षा है, और इसमें व्यक्तिगत स्तर पर हस्तक्षेप करना न्यायोचित नहीं है। पीठ ने स्पष्ट किया कि अदालत का रुख पहले भी ऐसे मामलों में यही रहा है, इसलिए इस याचिका को भी विचार के योग्य नहीं मानते हुए खारिज किया जाता है।
याचिकाकर्ता ने जिन प्रश्नों पर आपत्ति जताई, उनमें से एक प्रमुख प्रश्न संख्या 136 (कोड 47) को बताया गया, जिसे लेकर दावा किया गया कि एनटीए द्वारा घोषित उत्तर गलत था। हालांकि अदालत ने पूर्व मामलों का हवाला देते हुए यह याचिका अस्वीकार कर दी और परिणाम पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।