लखनऊ। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर रिंकू सिंह को बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) के पद पर नियुक्त करने की घोषणा के बाद उनकी शैक्षिक योग्यता को लेकर बहस शुरू हो गई है। बीएसए पद पर भर्ती आमतौर पर लोक सेवा आयोग के माध्यम से होती है, जिसमें पीजी डिग्री अनिवार्य है, जबकि रिंकू सिंह ने अभी तक हाईस्कूल भी पूरा नहीं किया है।
ऐसे में सवाल उठता है कि बिना आवश्यक शैक्षिक योग्यता के उन्हें यह पद कैसे दिया जा सकता है? इसके पीछे उत्तर प्रदेश सरकार की एक विशेष व्यवस्था है, जिसके तहत प्रदेश के अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता खिलाड़ियों को विभिन्न विभागों में नियुक्त किया जाता है। इसी नीति के तहत रिंकू सिंह समेत सात अंतरराष्ट्रीय पदक विजेताओं की नियुक्ति को मंजूरी दी गई है। उनकी योग्यता और दस्तावेज़ों की जांच पहले ही पूरी की जा चुकी है।
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस तैनाती का उद्देश्य युवाओं को विभाग की ओर आकर्षित करना है। ऐसे ख्यातिलब्ध खिलाड़ियों को ब्रांड एंबेस्डर के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है ताकि विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार हो सके।
अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि विभाग में नियुक्ति के लिए अंतरराष्ट्रीय पदक विजेताओं की शैक्षिक योग्यता को अनिवार्य नहीं माना जाता है। हालांकि, पदोन्नति पाने के लिए उन्हें सात वर्षों के भीतर निर्धारित शैक्षिक मानदंड पूरा करना होगा। यदि यह मानदंड पूरा नहीं किया गया, तो वे पदोन्नति के लिए योग्य नहीं होंगे और भर्ती नियमों के तहत उनकी प्राथमिकता भी कनिष्ठ स्तर पर आ जाएगी।