अगर आप भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हैं, तो आपके लिए एक महत्वपूर्ण खबर है। 15 जुलाई 2025 से SBI Cards मिनिमम अमाउंट ड्यू (MAD) की गणना की पद्धति में परिवर्तन करने जा रहा है, जिसका असर आपके मासिक बिल भुगतान पर पड़ सकता है।
क्या होता है मिनिमम अमाउंट ड्यू?
मिनिमम अमाउंट ड्यू वह राशि होती है, जिसे आपको हर बिलिंग साइकिल में कम से कम जमा करना होता है, जिससे आपकी भुगतान स्थिति ‘डिफॉल्ट’ की श्रेणी में न आए और आपका क्रेडिट स्कोर प्रभावित न हो।
बदलाव का नया स्वरूप
SBI कार्ड्स द्वारा जारी नई व्यवस्था के अनुसार, अब कार्डधारकों को पहले के मुकाबले अधिक मिनिमम अमाउंट चुकाना होगा, विशेष रूप से उन ग्राहकों को जिनका बकाया अधिक है। नए फॉर्मूले में निम्नलिखित मदों को पूरी तरह से MAD में शामिल किया जाएगा:
- ईएमआई की पूरी राशि
- सभी प्रकार के शुल्क (fees)
- फाइनेंस चार्ज (ब्याज)
- ओवरलिमिट अमाउंट (यदि कोई हो)
- जीएसटी की पूरी राशि
- कुल बकाया राशि का न्यूनतम 2%
पहले के नियमों में इन तत्वों को आंशिक रूप से शामिल किया जाता था, जिससे ग्राहक कम भुगतान कर पाते थे, लेकिन उन पर अधिक ब्याज जुड़ता था।
एक उदाहरण से समझें
मान लीजिए किसी ग्राहक का कुल बकाया ₹1,00,000 है, जिसमें:
- फाइनेंस चार्ज: ₹10,000
- शुल्क और अन्य चार्ज: ₹3,000
- जीएसटी: ₹3,000
तो नए नियमों के अनुसार मिनिमम अमाउंट ड्यू होगा:
₹10,000 (फाइनेंस चार्ज) + ₹3,000 (शुल्क) + ₹3,000 (GST) + ₹2,000 (बकाया का 2%) = कुल ₹18,000
इस बदलाव का प्रभाव
अब कार्डधारकों को हर महीने थोड़ा अधिक भुगतान करना होगा, लेकिन इससे वे लंबे समय तक लटकते कर्ज और बढ़ते ब्याज से बच सकेंगे। बैंक का कहना है कि यह परिवर्तन उत्तरदायी क्रेडिट प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए किया गया है।
कार्डधारकों को क्या करना चाहिए?
- अपने मासिक स्टेटमेंट को सावधानी से पढ़ें।
- भुगतान समय पर और पूर्ण रूप से करने की आदत डालें।
- ईएमआई आधारित लेन-देन के भुगतान पर विशेष ध्यान दें।
- 15 जुलाई के बाद बढ़े हुए मिनिमम ड्यू को ध्यान में रखते हुए वित्तीय योजना बनाएं, ताकि न तो अतिरिक्त ब्याज लगे और न ही क्रेडिट स्कोर प्रभावित हो।