तेहरान/यरुशलम। पश्चिम एशिया एक बार फिर गंभीर सैन्य टकराव की दहलीज पर खड़ा नजर आ रहा है। अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, ईरान और इज़राइल के बीच तनाव एक बार फिर युद्ध की ओर बढ़ रहा है। इस बार आक्रामक रुख इज़राइल का नहीं, बल्कि ईरान का बताया जा रहा है, जो अपने शहरों में हालिया विस्फोटों को युद्धविराम का उल्लंघन मानते हुए जवाबी कार्रवाई कर सकता है।
लगातार धमाके, बढ़ती आशंका
पिछले छह दिनों से ईरान के कई शहरों—जैसे बुशहर और तेहरान—में रहस्यमयी धमाके हुए हैं। बुशहर में संदिग्ध उड़न वस्तुएं दिखने के बाद ईरान का वायु सुरक्षा तंत्र सक्रिय हो गया और कई इंटरसेप्टर मिसाइलें दागी गईं। वहीं, तेहरान के एक रिहायशी इलाके में हुए विस्फोट से आग लग गई। इन घटनाओं को ईरान की ओर से अभी तक आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है, लेकिन माना जा रहा है कि यह खामोशी किसी बड़े सैन्य कदम की भूमिका हो सकती है।
सैन्य सुधार और युद्ध की तैयारी
12 दिन चले पिछले संघर्ष में ईरान की वायुसेना, रडार प्रणाली और एयर डिफेंस कमजोर साबित हुए थे, जिनका इज़राइल ने भरपूर फायदा उठाया था। लेकिन अब ईरान ने रूस और चीन की मदद से इन कमजोरियों को दूर करना शुरू कर दिया है। चीन से 40 J-10 लड़ाकू विमान मिल चुके हैं और नए एयर डिफेंस सिस्टम भी स्थापित कर लिए गए हैं। साथ ही, रडार नेटवर्क को रूस की तकनीकी मदद से उन्नत किया गया है।
सैन्य कमांडर की चेतावनी, वायु क्षेत्र बंद
ईरानी सेना के प्रमुख मेजर जनरल मौसावी ने चेतावनी दी है कि यदि हमला हुआ तो ईरान की जवाबी कार्रवाई पहले से कहीं अधिक तीव्र और विनाशकारी होगी। इसी बीच, ईरान ने अपने पश्चिमी और मध्य वायुक्षेत्र को 4 जुलाई तक के लिए बंद कर दिया है, जिससे अटकलें तेज हो गई हैं कि ईरान एक व्यापक सैन्य अभियान की योजना बना रहा है।
जंग की आहट
अंतरराष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों का मानना है कि ईरान अब पीछे हटने के बजाय प्रत्यक्ष युद्ध की दिशा में आगे बढ़ सकता है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यदि टकराव हुआ तो यह पहले से कहीं अधिक व्यापक और खतरनाक हो सकता है, जिससे पूरे क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ सकती है।