प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बृहस्पतिवार खुलासा किया कि दिल्ली के दो साइबर अपराधियों ने विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) सुविधाओं का दुरुपयोग करके 4,900 करोड़ रुपये से अधिक की रकम विदेश भेज दी। दोनों आरोपियों की पहचान पुनीत कुमार उर्फ पुनीत माहेश्वरी उर्फ जॉन (मोती नगर निवासी) और आशीष कक्कड़ उर्फ पाब्लो (ग्रेटर कैलाश निवासी) के रूप में हुई है। इन्हें पिछले साल संघीय एजेंसी ने गिरफ्तार किया था।
ईडी ने बताया कि 17 जनवरी को इन दोनों के दिल्ली में नौ आवासीय फ्लैटों और हरियाणा के रेवाड़ी में कृषि भूमि के एक हिस्से को कुर्क करने के लिए आदेश जारी किया गया था। ईडी ने कहा कि उसने ऑनलाइन गेमिंग धोखाधड़ी, मल्टी-लेवल मार्केटिंग योजनाओं और निवेश घोटालों जैसे अपराधों में शामिल लोगों के खिलाफ देश भर में दर्ज कई पुलिस एफआईआर का संज्ञान लेने के बाद इस मामले की जांच शुरू की। इनमें नौकरी धोखाधड़ी, ऑनलाइन शॉपिंग और मोबाइल एप के जरिए फर्जी ऋण वितरण धोखाधड़ी के मामले शामिल हैं। एजेंसी के अनुसार, ये घोटाले विभिन्न धोखाधड़ी वेबसाइट और एप जैसे upbitro.com और एक सट्टेबाजी वेबसाइट www.taj777.com के जरिये किए गए थे। एप और वेबसाइट को कुराकाओ, माल्टा और साइप्रस जैसे द्वीप देशों में स्थित कंपनियों की ओर से बनाया गया था।
दोनों आरोपियों के नाम पर पंजीकृत है 200 से अधिक कंपनियां
एजेंसी ने बताया कि दोनों आरोपियों के नाम पर पंजीकृत 200 से अधिक कंपनियों का इस्तेमाल अपराध की आय को स्थानांतरित करने के लिए किया गया था। ये फर्म उनके कर्मचारियों जैसे कि ऑफिस बॉय, ड्राइवर और सफाई कर्मचारियों के नाम पर भी पंजीकृत थीं। ईडी ने आरोप लगाया कि साइबर अपराध की इन आय को भारत से बाहर ले जाने के लिए दोनों आरोपियों ने जीएसटी पंजीकरण और संबंधित निर्यात-आयात अनुमति प्राप्त करके विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) सुविधाओं का दुरुपयोग किया।
दुबई, हांगकांग और चीन में भेजा पैसा
ईडी ने कहा कि दोनों ने दुबई, हांगकांग और चीन से मुंद्रा और कांडला जैसे विशेष आर्थिक क्षेत्रों के माध्यम से गुलाब के तेल और सौर पैनल मशीनरी जैसे अधिक मूल्य वाले सामान का आयात किया और आयात के बदले विदेशों में भारी मात्रा में अवैध विदेशी धन भेजा। ईडी ने कहा कि इसके बाद उन्हीं सामानों को (बिना किसी प्रसंस्करण के) पुनः निर्यात किया, लेकिन निर्यात के बदले कोई धन प्राप्त नहीं हुआ। लेन-देन में एक ही सामान को कई बार आयात किया गया और फिर विदेश में पैसे भेजने के लिए निर्यात किया गया।