किसान मोर्चे का फिर आंदोलन आरंभ करने का अल्टीमेटम

हरियाणा के सोनीपत जिले के कुंडली क्षेत्र में किसान मोर्चा के कार्यालय में संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारी जुटे। किसानों की अहम  बैठक हुई। बैठक में सभी 40 जत्थेबंदियों के प्रमुख शामिल रहे। 

बैठक के बाद प्रेस वार्ता में किसान नेता युद्धबीर सिंह ने कहा कि सरकार ने जो वादे हमसे किए हैं उन पर समीक्षा की गई है। सरकार ने कोई कमेटी नहीं बनाई है। कोई  संपर्क नहीं किया गया है। रेलवे और दिल्ली के मुकदमें वापसी की कार्रवाई नहीं की गई। सरकार ने हरियाणा को छोड़कर कहीं भी मुकदमें वापसी नहीं किए गए हैं।

सरकार ने अब तक समझौते के अनुसार काम नहीं किया है। इसलिए संयुक्त किसान मोर्चा 31 जनवरी को पूरे देश में वायदा खिलाफी दिवस के रुप में सरकार का विरोध करेंगे। सभी शहरों में, कस्बों में जिला मुख्यालयों पर सरकार के पूतले जलाए जाएंगे। 1 फरवरी तक सरकार नहीं मानी तो मिशन यूपी व उत्तराखंड़ शुरू किया जाएगा।

लखीमपुर केस मेेें सरकार ने मंत्री को बर्खास्त नहीं किया है। सरकार का मंत्री पर एक्शन ना लेना दिखाता है कि सरकार वोट बैंक के चक्कर में उसे बचा रही है। हमारे साथियों को पर 302 लगाकर जेलों में डाला गया है, इसको लेकर तय किया है कि राकेश टिकैत 21 तारीख से तीन दिन का लखीमपुर खीरी दौरा करेंगे और अधिकारियों से बातचीत करेंगे। उसके बाद सुनवाई नहीं होती है तो लखीमपुर खीरी में मोर्चा लगाया जाएगा। साथ ही मजदूर संगठनों के 23 24 के आंदोलन में किसान उनका सहयोग करेंगे।

चुनाव लड़ने वाले संगठनों पर कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा राजनीति से दूर है। हमारे साथियों का निणर्य जल्दबाजी का है। वो संगठन संयुक्त किसान मोर्चा के साथ नहीं रहेंगे। चार माह बाद हम इन संगठनों की समीक्षा करेंगे तब तक वो हमारा हिस्सा नहीं रहेंगे।

गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर शुरू हुआ किसान आंदोलन दिल्ली के बॉर्डरों पर एक साल से अधिक चला। कानून वापसी होने के बाद किसानों ने कुछ अन्य मांगों पर सरकार से समझौता किया और आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा कर दी थी। किसानों ने एलान किया था कि वह 15 जनवरी को सरकार की ओर से की गई कार्रवाई का विश्लेषण करेंगे। 

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