यूपी: वक्फ बोर्ड के सर्वे पर बोले ओवैसी- मुसलमानों को बनाया जा रहा निशाना

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बंजर जमीनों को गलत तरीके से वक्फ संपत्ति के तौर पर दर्ज कराए जाने पर जांच के आदेश दिए हैं। इसको लेकर अब राजनीति तेज हो गई है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने योगी सरकार के फैसले पर सवाल खड़े किए है। ओवैसी ने सवाल करते हुए साफ तौर पर कहा कि यूपी सरकार केवल वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण क्यों कर रहे हैं? इसे हिंदू बंदोबस्ती बोर्ड की संपत्तियों के लिए भी करें। उन्होंने कहा कि मैं कह रहा था कि मदरसों के सर्वे के पीछे साजिश है। यह सामने आ रहा है। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि यूपी सरकार अनुच्छेद 300 (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन कर रही है। 

हैदराबाद से सांसद ने कहा कि अगर किसी ने अवैध रूप से सरकारी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत किया है, तो इसे कोर्ट में लड़ें, ट्रिब्यूनल में जाएं। यूपी सरकार वक्फ संपत्ति को निशाना बना रही है और उसे छीनने की कोशिश कर रही है। इस तरह का लक्षित सर्वेक्षण बिल्कुल गलत है। हम इसकी निंदा करते हैं। यह मुसलमानों को सुनियोजित तरीके से निशाना बना रहा है। इससे पहले समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि सरकार हिंदू-मुसलमान करना चाहती है। अखिलेश ने कहा था कि हम सर्वे के खिलाफ हैं। सर्वे बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए। इससे पहले मदरसों के सर्वे को लेकर भी उत्तर प्रदेश में राजनीतिक बवाल मच चुका है। 

वहीं, प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी ने इसे एक सामान्य विभागीय प्रक्रिया करार दिया है। इस आदेश के बारे में उन्होंने कहा कि यह एक सामान्य विभागीय प्रक्रिया है और यह सिर्फ गलत तरीके से वक्फ संपत्ति के तौर पर दर्ज की गई जायदादों की शिकायतों से संबंधित है और इसका प्रदेश की बाकी वक्फ संपत्तियों से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि मीडिया की कुछ रिपोर्टों में इसे प्रदेश के निजी मदरसों की तरह वक्फ संपत्तियों के भी सर्वे के तौर पर बताया जा रहा है, जो सही नहीं है। 

अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग के उप सचिव शकील अहमद सिद्दीकी ने सात सितंबर को प्रदेश के सभी मंडल आयुक्तों और जिलाधिकारियों को भेजे गए आदेश में कहा है, शासन के संज्ञान में आया है कि राजस्व विभाग द्वारा सात अप्रैल 1989 को जारी एक शासनादेश के तहत प्रदेश की सामान्य भूमि (बंजर, भीटा और ऊसर) को भी अनियमितता करके राजस्व अभिलेखों में वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कराया गया है, ऐसे में 1989 के शासनादेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त करते हुए इसके तहत की गई सभी कार्यवाहियों का पुनर्परीक्षण कर उसके मुताबिक राजस्व अभिलेखों को दुरुस्त कर एक महीने के अंदर रिपोर्ट दी जाए। 

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