मुजफ्फरनगर। मन्सूरपुर थाना क्षेत्र में घर में घुसकर मारपीट और तोड़फोड़ के पुराने मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए बुढ़ाना विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक उमेश मलिक सहित आठ आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य पेश नहीं कर पाया।

इस मामले में पुलिस ने कुल 12 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। मुकदमे की सुनवाई जारी रहने के दौरान एक आरोपी की मौत हो चुकी थी, जबकि तीन नामजद व्यक्तियों के बारे में जांच में पाया गया कि वे बताए गए गाँव के निवासी ही नहीं थे।

बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता श्यामवीर सिंह और बिजेंद्र मलिक ने बताया कि 27 सितंबर 2012 को गांव खुब्बापुर में भाजपा बूथ अध्यक्ष राहुल शर्मा की हत्या के बाद क्षेत्र में तनाव का माहौल था। दो दिन बाद 29 सितंबर को भाजपा के कार्यक्रम में पूर्व विधायक उमेश मलिक समेत स्थानीय ग्रामीण मौजूद थे।

विपक्षी पक्ष की शिकायत थी कि कार्यक्रम के बाद कुछ लोग उनके घरों में घुस गए, तोड़फोड़ की और मारपीट की घटना को अंजाम दिया। इसी आरोप के आधार पर गांव के काला की ओर से पूर्व विधायक सहित कई ग्रामीणों के खिलाफ मारपीट, तोड़फोड़ और बलवा की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी।

मामला एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश देवेन्द्र फौजदार की अदालत में चला। सुनवाई पूरी होने पर शुक्रवार को अदालत ने उमेश मलिक, हरिओम, दीपक, अरविंद, जयप्रकाश, ओमवीर, सतीश और टीनू को साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया।

एक की मौत, तीन नाम गलत पाए गए

सुनवाई के दौरान आरोपी विनोद (निवासी खुब्बापुर) की मृत्यु हो गई थी। वहीं जिन तीन लोगों सुशील पुत्र बुद्दू, अनुज और सुमित को वादी की ओर से नामजद किया गया था, वे गांव में रहते ही नहीं थे। अदालत ने इस पर रिपोर्ट मांगी, जिसमें स्पष्ट हुआ कि ये तीनों नाम गलत दर्ज हुए थे। इसके बावजूद पुलिस ने चार्जशीट में उनका उल्लेख कर दिया था।