मणिपुर पिछले दो सालों से मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जातीय हिंसा की आग में जल रहा था. मणिपुर में हिंसा को लेकर विपक्षी पार्टियां लगातार केंद्र सरकार पर निशाना साधते रही है और सीएम एन बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग करती रही थी. सीएम के इस्तीफे की मांग को लेकर विधानसभा सत्र में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन उससे एक दिन पहले दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद इंफाल पहुंचकर सीएम एन बीरेन सिंह ने रविवार को अपना इस्तीफा दे दिया.
पूर्वोत्तर राज्य के भाजपा नेता ने इंफाल के राजभवन में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को आधिकारिक पत्र सौंपा. राज्यपाल ने सिंह का इस्तीफा स्वीकार कर लिया और वैकल्पिक व्यवस्था होने तक उन्हें पद पर बने रहने को कहा.
एन बीरेन सिंह का इस्तीफा मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच चल रही जातीय हिंसा के मद्देनजर आया है, जो मई 2023 से जारी है. मैतेई समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर भड़की हिंसा में बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए, विस्थापन हुआ और संपत्ति का नुकसान हुआ.
मणिपुर हिंसा में 258 लोगों की गईजान
मणिपुर में हिंसा और सीएम एन बीरेन सिंह के इस्तीफे पर विपक्षी पार्टियों ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पीएम मोदी को तुरंत ही मणिपुर का दौरा करना चाहिए.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि यह उसी तरह से है जैसे घोड़ा भाग गया हो और अस्तबल का दरवाजा बंद दिया गया हो. हिंसा अब तक 258 लोगों की जान गई. 5,600 अधिक सरकारी हथियारों और 6.5 लाख राउंड गोला-बारूद की लूट हुई 60,000 से अधिक लोग विस्थापन के शिकार हुए और अभी भी हजारों लोग अभी भी राहत शिविरों में रहने के लिए बाध्य हैं.
इस्तीफे से क्या थमेगी हिंसा?
दूसरी ओर, सीएम के इस्तीफे के वरिष्ठ पत्रकार प्रभाकर मणि तिवारी का कहना है कि असल में यह इस्तीफा पहले ही हो जाना चाहिए, लेकिन यह नहीं हुआ. सोमवार से मणिपुर विधानसभा का सत्र शुरू हो गया है. कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस जमा दिया है. खुद भाजपा के विधायकों का एक समूह सीएम एन बीरेन सिंह का विरोध कर रहा था. कम से कम एक दर्जन विधायक विरोध में थे और नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहे थे.

उन्होंने कहा किऐसे में अविश्वास प्रस्ताव में सरकार के हारने का खतरा था. अगर एन बीरेन सिंह विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव में हार जाते तो दिल्ली में जीत के नैरेटिव को धक्का लगता. असंतुष्ट विधायकों को मानने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने संबित पात्रा को भेजा था, लेकिन वह विधायकों को मानने में असफल रहे. इस कारण ही अंततः एन बीरेन सिंह के इस्तीफे का फैसला लेना पड़ा.
उन्होंने कहा कि हालांकि इस्तीफे में देर हो चुकी है. अब इस्तीफे से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. वो दो साल से मांग कर रहे थे. इतने दिनों में नदी में काफी पानी बह गया है. घाव नासूर बना गया है.
एन बीरेन सिंह के पद छोड़ने के साथ ही मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार एक महत्वपूर्ण मोड़ पर नेतृत्व शून्यता का सामना कर रही है. केंद्र सरकार से क्षेत्र को स्थिर करने और चल रहे संघर्ष को संबोधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है, लेकिन इतना तय है कि अगले मुख्यमंत्री को शांति बहाल करने और युद्धरत समुदायों के बीच विश्वास को फिर से बनाने में भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.
मणिपुर हिंसा: जानें कब क्या-क्या हुआ
3 मई, 2023: मैतेई को एसटी का दर्जा दिए जाने के खिलाफ ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर द्वारा विरोध प्रदर्शन के बाद मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय संघर्ष शुरू हो गया. चुराचांदपुर और बिष्णुपुर जिलों के पास हिंसा बढ़ गई.
14 मई, 2023: तोरबंग क्षेत्र में फिर से हिंसा भड़क उठी. अज्ञात आगजनी करने वालों ने घरों और ट्रकों में आग लगा दी। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की पांच कंपनियों को तैनात किया गया. एक अलग घटना में असम राइफल्स के दो जवान घायल हो गए.

29 मई, 2023: नई झड़पों में एक पुलिसकर्मी समेत कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई.
14 जून, 2023: नौ मैतेई लोगों समेत कम से कम 11 लोगों को गोली लगी. एक नए हमले में 14 अन्य घायल हो गए। राज्य की राजधानी में डॉक्टरों और वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि झड़पें इतनी भीषण थीं कि कई शवों की पहचान करना मुश्किल था. सोशल मीडिया पर सीएम बीरेन सिंह की आलोचना करने वाले पोस्ट को शेयर करने के लिए 21 वर्षीय कुकी युवक को गिरफ्तार किया गया. पुलिस हिरासत में होने के बावजूद इंफाल की एक सड़क पर उसे पीट-पीटकर मार डाला गया.
मई 2024: सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 221 लोग मारे गए, 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए और 4,786 घर जला दिए गए। मंदिरों और चर्चों सहित कम से कम 386 धार्मिक संरचनाओं में तोड़फोड़ की गई. अनौपचारिक स्रोत और भी अधिक हताहतों और विनाश का सुझाव देते हैं
दिसंबर 2024: सुरक्षा बलों ने आरोप लगाया कि म्यांमार से तस्करी करके लाए गए स्टारलिंक उपकरणों का इस्तेमाल व्यक्तियों और उग्रवादी समूहों द्वारा इंटरनेट शटडाउन को बायपास करने के लिए किया गया था.
मणिपुर में हिंसा और चिंता की वजह
एसटी दर्जे के लिए मैतेई की मांग: कुकी समुदाय ने इस मांग का विरोध किया, उन्हें डर था कि इससे उनके मौजूदा आदिवासी अधिकारों और भूमि स्वामित्व पर असर पड़ेगा.

भूमि अधिकारों की चिंताएं: कुकी लोगों ने सरकारी कार्रवाइयों को अपने स्वदेशी भूमि अधिकारों पर अतिक्रमण के रूप में देखा.
म्यांमार से अवैध अप्रवास: शरणार्थियों की आमद, विशेष रूप से सागाइंग क्षेत्र से, ने मैतेई की चिंताओं को बढ़ा दिया. मणिपुर सरकार ने केंद्रीय सुरक्षा बलों, विशेष रूप से असम राइफल्स पर अवैध अप्रवास की अनुमति देने और कुकी उग्रवादियों की सहायता करने का आरोप लगाया.
सुरक्षा बलों पर पक्षपात का आरोप: पक्षपातपूर्ण हत्याओं के आरोप लगे हैं, जिसमें पुलिस पर कथित तौर पर मैतेई लोगों का पक्ष लेने का आरोप है, जबकि सैन्य बलों पर कुकी लोगों का पक्ष लेने का आरोप है.