कांगो के पूर्वी इलाके में हिंसा तेज, एक हफ्ते में 50 से ज्यादा की जान गई

कांगो के पूर्वी हिस्से में सरकार और रवांडा समर्थित विद्रोहियों के बीच मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक हफ्ते के अंदर हुए हमलों के दौरान क्षेत्र में कम से कम 52 लोगों की मौत हो गई. वहीं अब तक इस संघर्ष में करीब 3,000 लोगों की जान जा चुकी है और लगभग 70 लाख लोग बेघर हो चुके हैं. सरकार ने रवांडा समर्थित विद्रोहियों पर हिंसा का आरोप लगाया.

यह क्षेत्र पहले से ही संघर्ष और हिंसा की मार झेल रहा है. वहीं एक बार फिर सरकार और विद्रोही गुट एम-23 एक-दूसरे पर हमले का दोष लगा रहे हैं. वहीं पूर्वी कांगो के सबसे बड़े शहर गोमा और उसके आसपास के इलाकों में हाल में हुई हिंसा कतर और अफ्रीकी देशों द्वारा जारी शांति प्रयासों के लिए सबसे बड़ा खतरा है.

गोलियों और बम धमाकों की आवाज से लोगों में दहशत

शुक्रवार रात से लेकर शनिवार सुबह तक गोमा शहर और उसके आसपास गोलियों और बम धमाकों की आवाजें सुनाई दीं. एक स्थानीय निवासी अंबोमा सफारी ने जानकारी देते हुए बताया कि गोलियों और बम धमाकों की आवाजें सुनकर उनका परिवार अपने बिस्तर के नीचे छिपा रहा पूरी रात ऐसे ही बिताई. सफारी ने ये भी बताया कि सुबह उन्होंने सैनिकों के शव देखे लेकिन यह पहचानना मुश्किल था कि वे किस समूह से थे.

सरकारी और विद्रोही एक दूसरे पर लगा रहे आरोप

इस घटना को लेकर सरकारी और विद्रोही एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. कांगो सरकार का कहना है कि यह हमला एम23 विद्रोहियों ने किया है. वहीं एम23 के प्रवक्ता लॉरेंस कण्युका का कहना है कि यह हमला कांगो की सेना और उसके स्थानीय सहयोगी मिलिशिया के संयुक्त अभियान का नतीजा है. प्रवक्ता का दावा है कि सरकार की ये सैन्य कार्रवाइयां स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा बन चुकी हैं, ऐसे में अब एम23 को भी अपनी रणनीति पर एक बार फिर से विचार करना पड़ेगा.

दरअसल कांगो और एम23 विद्रोहियों के बीच दशकों से जारी संघर्ष इस साल जनवरी में उस समय और बढ़ गया, जब विद्रोहियों ने पूर्वी कांगो शहर गोमा पर कब्जा कर लिया और उसके बाद फरवरी में बुकावु शहर पर कब्जा जमा लिया.

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